विश्व कप के किस्से: जब किस्मत ने दक्षिण अफ्रीका से कहा 'फाइनल में नहीं जाने देंगे'
क्या है खबर?
विश्व कप हर देश के लिए सबसे बड़ा टूर्नामेंट होता है और लगभग हर देश इस खिताब को जीतने का सपना देखता है।
क्रिकेट विश्व कप में यदि कोई टीम सबसे ज़्यादा दुर्भाग्यशाली रही है तो वह दक्षिण अफ्रीका, जो अब तक एक भी बार विश्व कप नहीं जीत सकी है।
2019 विश्व कप के पहले मैच में दक्षिण अफ्रीका का सामना मेज़बान इंग्लैंड से होगा।
पढ़ें, 1992 विश्व कप में हुए इन दोनों टीमों के मुकाबले की दिलचस्प कहानी।
1992 विश्व कप
21 साल का वनवास झेलने के बाद अफ्रीका ने खेला था शानदार क्रिकेट
दक्षिण अफ्रीकी सरकार की रंगभेद नीति के कारण 70 के दशक में अफ्रीका को बैन कर दिया गया था और फिर 21 साल बाद उनकी इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी हुई थी।
1992 विश्व कप में अफ्रीकी टीम ने अपनी वापसी को शानदार तरीके से सेलीब्रेट किया था और राउंड रॉबिन स्टेज में ऑस्ट्रेलिया व भारत जैसी टीमों को हराया था।
अफ्रीका ने आठ में से पांच मुकाबले जीतकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।
इंग्लैंड बनाम अफ्रीका
सेमीफाइनल में इंग्लैैंड ने दिया था 253 का टार्गेट
अफ्रीका को सेमीफाइनल में इंग्लैंड का सामना करना था। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया और 39 रनों पर ही उन्होंने दो विकेट गंवा दिए थे।
हालांकि, ग्रीम हिक के 83 रनों की बदौलत इंग्लैंड ने 252 रनों का स्कोर खड़ा किया था। एलन डोनाल्ड और एम प्रिंगल ने अफ्रीका के लिए 2-2 विकेट हासिल किए थे।
जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी अफ्रीका ने अच्छी शुरुआत की और चार विकेट के नुकसान पर 131 रन बना लिए थे।
बारिश
आसानी से जीत की तरफ बढ़ रही अफ्रीका के रास्ते आई बारिश
जोंटी रोड्स ने 38 गेंदों में 43 रनों की तेज पारी खेली और अफ्रीका को टार्गेट के काफी करीब पहुंचा दिया, लेकिन वह आउट हो गए।
मैच अफ्रीका की पकड़ में आ ही चुका था, लेकिन बारिश हो रही थी और इंग्लैैंड के खिलाड़ी मैच रुकवाना चाहते थे।
अफ्रीका को 13 गेंदों पर 22 रनों की जरूरत थी, तभी इंग्लैंड के कप्तान ग्राहम गूच और अन्य खिलाड़ियों ने अंपायरों से मैच रोकने की अपील की।
नियम
मैच रुका और फिर अजीबो-गरीब नियम ने अफ्रीका को पहुंचाई तगड़ी चोट
जब मैच रोका गया था तब अफ्रीका को जीतने के लिए 13 गेंदों पर 22 रनों की जरूरत थी, लेकिन जब मैच वापस शुरु किया गया तब अफ्रीका को एक गेंद पर 21 रनों की जरूरत थी।
हालांकि, स्कोरबोर्ड कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा था और वहां लिखा था कि अफ्रीका को एक गेंद पर 22 रनों की जरूरत है।
1992 विश्व कप के इस नियम ने अफ्रीका का दिल तोड़ दिया था।
नियम
कैसे मिला अफ्रीका को 1 गेंद पर 22 रनों का टार्गेट?
1992 विश्व कप में एक नया नियम लागू हुआ था, जिसके मुताबिक यदि दूसरी पारी से एक ओवर घटाया जाता है तो पहली पारी में सबसे कम रन वाला ओवर, और अगर दो ओवर हटाए जाते हैं तो पहली पारी में दूसरा सबसे कम रन वाला ओवर और 1 रन कम किया जायेगा।
अफ्रीका को 13 गेंदों पर 22 रनों की जरूरत थी जो इंग्लैंड के दो मेडन ओवर और एक रन हटाने के बाद 1 गेंद पर 21 रन हो गई।
जानकारी
डकवर्थ-लुईस होता तो अफ्रीका के पास था मैच जीतने का मौका
यदि डकवर्थ-लुईस नियम होता तो अफ्रीका को आखिरी गेंद पर टाई के लिए चार और मैच जीतने के लिए पांच रनों की जरूरत होती और उनके पास मुकाबला जीतने का मौका होता।