विनेश फोगाट मामले में फैसला फिर टला, अभिनव बिंद्रा ने कही ये बात
क्या है खबर?
भारत की पहलवान विनेश फोगाट की पेरिस ओलंपिक 2024 से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ अपील पर कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) ने अपना फैसला बीते मंगलवार को टाल दिया था।
अब इस मामले पर 16 अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा।
यह पहला मौका नहीं है जब इस मामले को CAS ने टाला है।
अब इस पूरे घटनाक्रम पर भारत के पूर्व निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
पोस्ट
अभिनव बिंद्रा ने सोशल मीडिया पर प्रशंसकों से धैर्य रखने का किया आग्रह
बीजिंग ओलंपिक 2008 के स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा ने सोशल मीडिया पर प्रशंसकों से धैर्य रखने का आग्रह किया है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, 'जब कोई महत्वपूर्ण काम टल जाता है तो हमें निराशा होती है और आज हम में से कई लोग विनेश के फैसले का इंतजार करते हुए ऐसा ही महसूस कर रहे हैं। यह कुछ ऐसा ही है जैसा कि एथलीट हर 4 साल में करते हैं।'
पोस्ट
अपने खिलाड़ियों का समर्थन करना जारी रखें- बिंद्रा
बिंद्रा ने आगे विनेश का समर्थन करते रहने की बात कही है।
भारतीय निशानेबाज ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, 'खेल सिर्फ मैदान पर होने वाली घटनाओं के बारे में नहीं है। यह इंतजार, धैर्य और आगे बढ़ते रहने के बारे में है। इसलिए जब हम 16 अगस्त का इंतजार कर रहे हैं, तो आइए याद करें कि हमारे एथलीट क्या सहते हैं और उनका उत्साहवर्धन करना जारी रखें।'
फैसला
CAS ने लगातार टाला है ये फैसला
विनेश ने CAS से अपील की थी और क्यूबा की युस्नेलिस गुजमैन लोपेज के साथ संयुक्त रूप से रजत पदक की मांग की थी।
इस विवादित मामले पर 10 अगस्त को फैसला आना था। हालांकि, बाद में CAS ने इसे 13 अगस्त और फिर 16 अगस्त को टाल दिया गया है।
गौरतलब हो कि CAS एक स्वतंत्र संस्था है, जिसका काम विश्व भर के खेल से जुड़े विवादों का निपटारा करना है। इसकी स्थापना साल 1984 में की गई थी।
मामला
क्या है विनेश का अयोग्य ठहराए जाने पूरा मामला?
विनेश ने महिलाओं की 50 किलोग्राम भारवर्ग के सेमीफाइनल में क्यूबा की गुजमान लोपेज को हराते हुए अपना ओलंपिक पदक सुनिश्चित किया था।
नियमों के अनुसार, फाइनल से पहले विनेश का वजन नापा गया, जो लगभग 100 ग्राम अधिक था।
उन्होंने फाइनल से पहले अपने वजन को कम करने के लिए पूरी रात जॉगिंग, स्किपिंग और साइकिलिंग की, लेकिन वजन कम नहीं कर पाईं थी।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अतिरिक्त समय मांगा, लेकिन उनकी दलीलों को अस्वीकार कर दिया गया था।