विश्व कप 2019 में भारतीय टीम के सफर पर एक नजर, जानें पॉजिटिव और निगेटिव बातें
विश्व कप 2019 में भारतीय क्रिकेट टीम का सफर समाप्त हो गया है। बेहद शानदार खेल दिखाने वाली भारतीय टीम की विदाई काफी निराशाजनक रही। बुधवार को ओल्ड ट्रैफर्ड में न्यूजीलैंड के खिलाफ बल्लेबाजों के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण भारत को सेमीफाइनल गंवाकर टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा। आइए जानें टूर्नामेंट में काफी शानदार खेल दिखाने वाली भारतीय टीम का विश्व कप में कैसा सफर रहा।
टॉप ऑर्डर ने साबित किया खुद को वर्ल्ड क्लास
भारत के टॉप ऑर्डर ने अपने खेल से साबित किया कि वे वर्ल्ड क्लास हैं। रोहित शर्मा ने 5 शतक लगाते हुए कुल 648 रन बनाए और वह इस विश्व कप में अब तक वह सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। विराट कोहली ने लगातार पांच मैचों में 50 से ज़्यादा का स्कोर बनाया तो वहीं चोटिल से होने से पहले शिखर धवन ने मैच जिताउ पारी खेली। केएल राहुल ने भी अच्छी बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया।
गेंदबाजी रही भारत के लिए सबसे सकारात्मक चीज
हमेशा से ही भारत के लिए गेंदबाजी को कमजोर कड़ी माना जाता रहा है, लेकिन इस विश्व कप में भारतीय गेंदबाजों ने अपने प्रदर्शन से इसे भारत की मजबूत कड़ी बना दिया। जसप्रीत बुमराह ने लीड करते हुए बेहद शानदार इकॉनमी के साथ 18 विकेट हासिल किए। भुवनेश्वर कुमार शानदार प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में मोहम्मद शमी ने आते ही कहर मचा दिया। हार्दिक पंड्या और स्पिनरों ने भी शानदार प्रदर्शन किया।
मिडिल ऑर्डर का प्रयोग पड़ा भारी
भारतीय टीम का मिडिल ऑर्डर शुरु से ही कमजोर माना जा रहा था और इंग्लैंड के खिलाफ इसकी झलक देखने को भी मिली थी। नंबर चार पर शुरुआत में केएल राहुल फिर विजय शंकर और अंत के कुछ मैचों में रिषभ पंत को आजमाया गया। विश्व कप के बीच में इस तरह का प्रयोग हमेशा खतरे को बुलावा देना होता है। केदार जाधव और दिनेश कार्तिक ने मिले मौकों को खराब किया।
कोहली ने की काफी खराब कप्तानी
विराट कोहली की कप्तानी इस विश्व कप में बेहद खराब रही। चाहे वह विजय शंकर को लगातार चार नंबर पर मौका देना हो या फिर जडेजा को टीम से बाहर रखना, कोहली ने लगातार गलतियां की। कई मौकों पर टीम के मिडिल ऑर्डर की पोल खुली, लेकिन फिर भी कुछ ठोस कदम नहीं उठाए गए। सेमीफाइनल में लगातार विकेट गिरने के बावजूद दिनेश कार्तिक और हार्दिक पंड्या जैसे बल्लेबाजों को ऊपर भेजना भी उनका निर्णय गलत साबित हुआ।
धोनी के खेल में दिखने लगा है धीमापन
इस विश्व कप में यदि किसी भारतीय बल्लेबाज को सबसे ज़्यादा निशाने पर लिया गया है तो वह हैं पूर्व कप्तान एमएस धोनी। धोनी के लिए यह विश्व कप ठीक-ठाक रहा और दो पचासे के साथ उन्होंने 273 रन बनाए, लेकिन फिर भी उनकी बल्लेबाजी में पहले जैसी बात नहीं दिखी। विश्व कप में धोनी बड़े शॉट लगाने के लिए संघर्ष कर रहे थे और उन्हें कई दफा धीमा खेलने के लिए आलोचकों का शिकार होना पड़ा।
फिर ले डूबा भारत को बड़े गेम का प्रेशर
भारत ने 15 अंकों के साथ अंक तालिका को टॉप किया था, लेकिन सेमीफाइनल जैसे बड़े मुकाबले के दबाव उनको ले डूबा। यह 2013 चैंपियन्स ट्रॉफी की जीत के बाद से भारत की ICC टूर्नामेंट के नॉकआउट में लगातार पांचवी हार है। इससे पहले भारत 2014 टी-20 विश्व कप का फाइनल, 2015 विश्व कप का सेमीफाइनल, 2016 टी-20 विश्व कप सेमीफाइनल और 2017 चैंपियन्स ट्रॉफी का फाइनल गंवा चुकी है।