फुटबॉल: नेशनल टीम के खिलाड़ियों को मेंटली और फिजिकली फिट होना होगा- कोच स्टिमाक
क्या है खबर?
भारतीय फुटबॉल टीम के कोच के लिए लंबे समय से चल रही खोज का अंत हो गया है और क्रोएशियन लेजेंड इगोर स्टिमाक को ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) ने यह जिम्मेदारी सौंपी है।
भारतीय टीम के लिए फिलहाल का समय काफी महत्वपूर्ण है और नए कोच स्टिमाक बिना किसी गलती के सही दिशा में काम करने के लिए उत्सुक हैं।
स्टिमाक का कहना है कि वह किसी चीज के लिए शिकायत करने की बजाय सही ढंग से काम करेंगे।
स्टिमाक
हर खिलाड़ी को मेंटली और फिजिकली फिट होना होगा- स्टिमाक
स्टिमाक का कहना है कि वह अपने कोचिंग का स्टाइल मैच के दौरान ही दिखाएंगे और उन्हें हर पोजीशन के लिए बेस्ट खिलाड़ी की तलाश होगी।
Goal के साथ बात करते हुए स्टिमाक ने कहा, "मैं क्विक पासिंग, मूवमेंट और नियमबद्ध डिफेंसिव वर्क में भरोसा करता हूं। मेरी टीम का हिस्सा होने के लिए खिलाड़ियों को मेंटली और फिजिकली बेस्ट कंडीशन में होना होगा। फुटबॉल में युवा और बूढ़ा जैसा कुछ नहीं होता बल्कि केवल अच्छा और बुरा होता है।"
चैलेंज
किंग्स कप होगा स्टिमाक का पहला चैलेंज
स्टिमाक के लिए भारतीय टीम के साथ पहला चैलेंज 5 जून से थाईलैंड में खेली जाने वाली किंग्स कप होगी।
भले ही कोच के पास टीम चुनने के लिए बेहद कम समय बचा है, लेकिन वह किसी चीज के लिए शिकायत नहीं कर रहे हैं।
स्टिमाक ने कहा, "हमारे पास शिकायत करने का समय नहीं है। हम प्रत्येक मौके का सही ढंग से इस्तेमाल करेंगे और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे।"
सुनील छेत्री
स्टिमाक का अनुभव भारतीय फुटबॉल को बेहतर बनाएगा- छेत्री
भारतीय टीम के लिए सबसे ज़्यादा गोल दागने वाले कप्तान सुनील छेत्री का कहना है कि नए कोच का अनुभव टीम के लिए काफी काम आएगा।
छेत्री ने नए कोच का स्वागत करते हुए कहा, "काफी सारे नए खिलाड़ी आ रहे हैं जिनके लिए स्टिमाक का अनुभव बेहद काम आएगा। उनका अनुभव खुद बोलता है और हमें इसका फायदा लेने की जरूरत है।"
इसके अलावा छेत्री ने यह भी कहा कि नए कोच के आने से हम लगातार प्रोग्रेस करेंगे।
परिचय
वर्ल्ड कप में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं स्टिमाक
स्टिमाक क्रोएशिया की उस टीम का हिस्सा थे जिसने 1998 वर्ल्ड कप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
क्रोएशिया ने तीसरे स्थान के लिए खेले गए मुकाबले में नीदरलैंड को हराया था और स्टिमाक उस टीम का भी हिस्सा रहे थे।
उस साल क्रोएशिया के पास फाइनल में जाने का मौका था, लेकिन फ्रांस के खिलाफ उन्हें सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा था।
एक खिलाड़ी के तौर पर यह स्टिमाक की सबसे बड़ी उपलब्धि रही थी।