विश्व कप के किस्से: 1975 विश्व कप की वो पारी, जिसकी आज तक होती है आलोचना
क्या है खबर?
विश्व कप यानि हर खेल का सबसे बड़ा इवेंट और क्रिकेट के लिए भी यह अलग नहीं है। क्रिकेट विश्व कप में खेलना हर क्रिकेटर का सपना होता है।
हर खिलाड़ी चाहता है कि वह विश्व कप में कुछ ऐसा करे जिसे सालों तक याद रखा जाएगा। लगभग हर विश्व कप में हमें कुछ ऐसी ही चीजें मिल भी जाती हैं जिन्हें लंबे समय तक याद रखा जाता है।
पढ़ें, 1975 विश्व कप की एक ऐसी ही कहानी।
इंग्लैंड बनाम भारत
पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड ने बनाया वनडेे का पहला 300+ टोटल
भारत के खिलाफ पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड ने 60 ओवर के इस मुकाबले में 334 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। यह वनडे मैचों का पहला 300+ स्कोर था।
इंग्लैंड के लिए ओपनर बल्लेबाज डेनिस अमिस ने 147 गेंदों में 137 रनों की धमाकेदार पारी खेली और विश्व कप का पहला शतक लगाया।
अंत में क्रिस ओल्ड ने 30 गेंदों में नाबाद 51 रन बनाकर विश्व कप का उस समय का सबसे तेज अर्धशतक लगाया।
भारत की बल्लेबाज़ी
भारत ने शुरुआत में गंवाए दो विकेट
दूसरी पारी में 335 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने 21 रन पर ही पहला विकेट गंवा दिया था तो वहीं 50 रन पर उन्हें दूसरा झटका लगा।
सुनील गावस्कर ने गुंडप्पा विश्वनाथ के साथ मिलकर 58 रनों की साझेदारी की, लेकिन 59 गेंदों में 37 रन बनाकर विश्वनाथ भी चलते बने।
भारतीय टीम 108 रनों पर तीन विकेट गंवाकर संघर्ष कर रही थी।
डिफेंसिव गावस्कर
गावस्कर ने शुरु किया अपना डिफेंसिव खेल
मात्र 108 रनों पर तीन विकेट गिर जाने के बाद सुनील गावस्कर ने डिफेंस करने का निर्णय लिया और वह लगातार डिफेंसिव खेल दिखाने लगे।
हालांकि, डिफेंस करते-करते शायद गावस्कर यह भूल गए कि वह टेस्ट की बजाय वनडे मुकाबला खेल रहे हैं।
गावस्कर के डिफेंस से इंग्लिश गेंदबाजों को कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन 174 गेंदों में खेली गई उनकी नाबाद 36 रनों की पारी भारतीय फैंस के लिए बहुत बुरी थी।
पारी
गावस्कर ने खेली थी 138 डॉट गेंदे
गावस्कर ने अपनी पारी में कुल 174 गेंदें खेली थी जिसमें उन्होंने मात्र एक चौका लगाया था। अपनी पारी में गावस्कर ने कुल 138 डॉट गेंदें खेली थीं।
पारी की शुरुआत करने आए गावस्कर अंत तक नाबाद रहे और इस दौरान उन्होंने 20.68 के बेहद खराब स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की।
बिना कोई बॉउंड्री लगाए 57 गेंदों में 16 रन बनाकर बृजेश पटेल अंत तक गावस्कर के साथ नाबाद रहे थे।
लेखा-जोखा
सात विकेट बचे रह गए और भारत 202 रनों से हार गया
आप किसी भी स्कोर का पीछा कर रहे हों, यदि आपके सात विकेट शेष रहते हैं तो आप भले ही मैच नहीं जीतें, लेकिन कम से कम स्कोर के पास तो पहुंचते हैं।
इंग्लैंड के खिलाफ इस मुकाबले में भारतीय टीम के सात विकेट शेष थे, लेकिन फिर भी उन्हें मुकाबले में 202 रनों से हार झेलनी पड़ी।
गावस्कर की धीमी बल्लेबाजी को इस हार का पूरा श्रेय दिया जाता है।