मैनचेस्टर सिटी के अलावा इन क्लबों पर भी लग चुका है यूरोपियन बैन
यूरोपियन फुटबॉल संघ ने फुटबॉल में पैसों के इस्तेमाल को मॉनीटर करने के लिए फाइनेंशियल फेयर प्ले (FFP) नियम बनाया था। इस नियम का उल्लंघन करने के लिए मैनचेस्टर सिटी को दो सीजन के लिए चैंपियन्स लीग से बैन किया गया है। हालांकि, यह पहला मामला नहीं है जब किसी क्लब को यूरोपियन बैन झेलना पड़ा है। एक नजर डालते हैं यूरोपियन बैन झेल चुके क्लबों पर।
2016 में तीन क्लबों पर लगा तीन साल का बैन
मार्च 2016 में UEFA ने घोषणा की थी कि वह यूक्रेन के डिनिप्रो, अजेरबैजानी के इंटर बाकू और रोमानिया टार्गू मुरेस क्लबों पर अपनी प्रतियोगिता में खेलने से तीन साल का बैन लगा रही है। हालांकि, अंत में इस बैन को घटाकर एक सीजन का कर दिया गया था। तीनों क्लबों को फाइनेंशियल फेयर प्ले नियम तोड़ने का दोषी पाया गया था। डिनिप्रो का केस थोड़ा अलग था और वे अपने खिलाड़ियों को पेमेंट नहीं दे सके थे।
मलागा पर लगा एक साल का बैन
2012 में स्पैनिश क्लब मलागा भी खिलाड़ियों को सैलरी दे पाने में असफल रही थी जिसके बाद उन्हें यूरोपियन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से एक साल के लिए बैन कर दिया गया था। उन्हें एक तय समय दिया गया था जिसके अंदर उन्हें पेमेंट पूरी करनी थी और ऐसा नहीं कर पाने की दशा में उनकी सजा बढ़ाई भी जा सकती थी। तय समय पर पेमेंट करके वे खुद को बचा सकते थे।
नीदरलैंड फुटबॉल फेडरेशन ने लगाया अपने देश के क्लब पर बैन
2015 में डच साइड FC ट्वेंटे पर यूरोपियन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से तीन साल का बैन लगा दिया गया था। गौरतलब है कि उन पर यह बैन UEFA या फीफा ने नहीं लगाया था बल्कि यह बैन रॉयल नीदरलैंड फुटबॉल एसोसिएशन द्वारा लगाया गया था। डच फेडरेशन ने इसलिए यह बैन लगाया क्योंकि क्लब ने देश के ट्रांसफर नियमों को तोड़ा था। उन्हें थर्ड पार्टी ऑनरशिप नियम का दोषी पाया गया था।
ग्लाटशराय पर लगा दो सीजन का बैन
2016 में तुर्किश साइड ग्लाटशराय को फाइनेंशियल फेयर प्ले नियम को तोड़ने का दोषी पाया गया था और उन पर UEFA ने दो सीजन का बैन लगाया था। 2014 में उन पर 155,000 पौंड का जुर्माना लगाया गया था और उन्हें नियम नहीं तोड़ने की हिदायत दी गई थी। हालांकि, वे नियम को तोड़ने के दोषी पाए गए और उन्हें दो सीजन के लिए यूरोपियन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से बैन होना पड़ा।