क्या है व्हाट्सऐप घोस्ट पेयरिंग ठगी और इससे कैसे रहें सुरक्षित?
क्या है खबर?
व्हाट्सऐप के जरिए होने वाले साइबर ठगी के मामलों में बीते कुछ समय में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है। लोग इस ऐप पर निजी बातचीत, फोटो, वीडियो और ज़रूरी दस्तावेज रखते हैं, इसी भरोसे का फायदा अब ठग उठा रहे हैं। नई तकनीकों के जरिए बिना अकाउंट हैक किए भी डाटा चुराया जा रहा है। ऐसा ही एक नया तरीका है व्हाट्सऐप घोस्ट पेयरिंग, जिसमें यूजर को भनक लगे बिना उनके मैसेज और मीडिया एक्सेस किए जा सकते हैं।
ठगी
क्या है व्हाट्सऐप घोस्ट पेयरिंग ठगी?
व्हाट्सऐप घोस्ट पेयरिंग एक नया साइबर ठगी है, जो ऐप के 'लिंक्ड डिवाइस' फीचर का गलत इस्तेमाल करता है। यह फीचर यूजर को एक से ज्यादा डिवाइस पर अकाउंट चलाने की सुविधा देता है। ठग इसी का फायदा उठाकर किसी अनजान डिवाइस को अकाउंट से जोड़ लेते हैं। इसके बाद वे रियल टाइम में चैट, फोटो और वीडियो देख सकते हैं, जबकि यूजर सामान्य तरीके से व्हाट्सएप इस्तेमाल करता रहता है।
तरीका
घोस्ट पेयरिंग के जरिए कैसे होती है ठगी?
इस तरह की ठगी आमतौर पर सोशल इंजीनियरिंग से शुरू होती है। ठग खुद को व्हाट्सऐप सपोर्ट, बैंक, HR टीम या किसी जानकार के रूप में पेश करते हैं। वे अकाउंट बंद होने या जरूरी वेरिफिकेशन का डर दिखाते हैं और फिर यूजर से OTP शेयर करने या QR कोड स्कैन करने को कहते हैं। वही QR कोड असल में नया डिवाइस लिंक करता है, जिससे ठग चुपचाप अकाउंट एक्सेस कर लेते हैं।
उपाय
घोस्ट पेयरिंग ठगी से कैसे बचें?
घोस्ट पेयरिंग ठगी से बचने के लिए सबसे पहले सतर्क रहना बहुत ज्यादा जरूरी है। किसी को भी व्हाट्सऐप का OTP या वेरिफिकेशन कोड कभी भी शेयर नहीं करें। अनजान लिंक या QR कोड स्कैन करने से बचें। समय-समय पर 'लिंक्ड डिवाइसेस' सेक्शन चेक करें और संदिग्ध डिवाइस को तुरंत हटाएं। टू-स्टेप वेरिफिकेशन जरूर चालू रखें और किसी भी अर्जेंट मैसेज पर तुरंत कार्रवाई करने के बजाय पहले उसकी सच्चाई जांचें।