टाइपोस्क्वाटिंग क्या है और इसके जरिए होने वाले ऑनलाइन फ्रॉड से कैसे बचें?
क्या है खबर?
डिजिटल युग में ऑनलाइन फ्रॉड और तेजी से बढ़े हैं। इससे आम यूजर्स के साथ ही ऑनलाइन बिजनेस की सुरक्षा का भी खतरा बढ़ा है।
ऐसे में यूजर्स और ऑनलाइन कारोबार करने वाली कंपनियों को सतर्क रहने की जरूरत है। ऑनलाइन फ्रॉड का एक तरीका टाइपोस्क्वाटिंग भी है।
यहां बात करेंगे कि टाइपोस्क्वाटिंग क्या है और यह कैसे काम करता है। इसके साथ ही टाइपोस्क्वाटिंग के जाल में फंसने से बचने के तरीके भी जानेंगे।
क्राइम
हैकर्स मिलते-जुलते नाम से बनाते हैं फर्जी वेबसाइट
टाइपोस्क्वाटिंग एक प्रकार का साइबर क्राइम है। इसके जरिए हैकर्स और स्कैमर्स असली वेबसाइट से मिलता-जुलता नया डोमेन नाम बनाते हैं।
हैकर्स कंपनियों के असली वेबसाइट के नाम में थोड़ा बहुत हेर-फेर करके फर्जी URL या वेबसाइट तैयार करते हैं।
हैकर्स नकली नाम वाली वेबसाइट को लोगों को असली दिखाकर हैकिंग को अंजाम देते हैं।
एक बार कोई यूजर नकली या टाइपोस्क्वाट वेबसाइट खोलता है तो वो फिशिंग या नकली साइट के पेज पर रीडायरेक्ट हो जाते हैं।
नकली
असली वेबसाइट के होम पेज और यूजर इंटरफेस की तरह बनाते हैं नकली वेबसाइट
टाइपोस्क्वाटिंग के बारे में जैसा ऊपर बताया कि पहले तो हैकर्स असली वेबसाइट के नाम से मिलता-जुलता नाम बनाते हैं। इसके बाद असली वेबसाइट के होम पेज और यूजर इंटरफेस जैसी वेबसाइट तैयार करते हैं।
उदाहरण के लिए Microsoft.com के लिए हैकर्स Micorsoft.com या Microsotf.com नाम से वेबसाइट बनाएंगे। कई बार ये .com की जगह .net, .org आदि के जरिए Microsoft.net आदि नाम की वेबसाइट भी बनाते हैं।
इन फर्जी साइट का पूरा कंट्रोल हैकर्स के पास होता है।
हैकर्स
हैकर्स के पास पहुंच जाती है यूजर्स की डिटेल्स
हैकर्स अधिकतर ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी और बैंक आदि की नकली वेबसाइट तैयार करते हैं।
अब यूजर यदि गलती से हैकर्स की बनाई फर्जी वेबसाइट पर पहुंच गए तो यूजर्स द्वारा दी गई सभी जानकारी हैकर्स तक पहुंच जाएंगी।
इस तरह फर्जी वेबसाइट यूजर्स का नाम, बैंक से जुड़ी जानकारी आदि मांगते हैं और फिर फ्रॉड को अंजाम देते हैं।
कई मामलों में ये फर्जी वेबसाइट यूजर्स के डिवाइस पर मैलवेयर भी इंस्टाल कर देती हैं।
बचाव
टाइपोस्क्वैटिंग से बचने का तरीका
टाइपोस्क्वैटिंग से बचने का सरल तरीका यही है कि एड्रेस या सर्च बार में URL डालते समय सावधानी बरतें।
एंटर दबाने से पहले URL की जांच कर लें। यह जरूर जांच लें कि आप जिस कंपनी, बैंक आदि की वेबसाइट पर जाना चाहते हैं वह .com, .net या .in में किसका इस्तेमाल करती है।
सही वेब एड्रेस पता न होने पर सर्च इंजन का इस्तेमाल करें और उसके द्वारा रिजल्ट में दिखाए गए लिंक के जरिए वेबसाइट पर जाएं।
एक्सटेंशन
ब्राउजर एक्सटेंशन का करें इस्तेमाल
टाइपोस्क्वैटिंग से बचने के लिए ब्राउजर एक्सटेंशन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
ये ब्राउजर एक्सटेंशन गलत वेब एड्रेस की पहचान करने में मदद करते हैं।
माइक्रोसॉफ्ट के ब्राउजर एज की बात करें तो ये बिल्ट-इन टाइपोस्क्वाट डिटेक्शन के साथ आता है। इसे विंडोज डिफेंडर एप्लिकेशन गार्ड कहा जाता है। ये टाइपोस्क्वाटिंग वेबसाइटों को ऑटोमैटिक तरीके से ब्लॉक कर देता है।
अन्य वेबब्राउजर के लिए भी इस तरह के एक्सटेंशन इस्तेमाल किए जा सकते हैं।