#NewsBytesExplainer: पासकी क्या है, जिससे खत्म हो सकती है पासवर्ड की जरूरत?
क्या है खबर?
अकाउंट से लेकर फोटो, वीडियो और विभिन्न दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए पासवर्ड का इस्तेमाल होता है। लोग ऐप्स और सॉफ्टवेयर को पासवर्ड से लॉक करके रखते हैं।
अब माइक्रोसॉफ्ट, ऐपल और गूगल जैसी कंपनियां साइबर सुरक्षा के लिए पासवर्ड से आगे पासकी की बात कर रही हैं।
पासवर्ड की समस्या को हल करने के लिए पासकी एक नया फीचर है। इसमें लॉग-इन के लिए पासवर्ड नहीं डालना होता।
जान लेते हैं इसके बारे में विस्तार से।
फीचर
क्या है पासकी?
पासकी एक तरह का सिक्योरिटी फीचर है, जो यूजर्स को पासवर्ड के बिना ही उनके विभिन्न ऑनलाइन अकाउंट्स तक पहुंचने की सुविधा देता है।
पासकी को वेबऑथेंटिकेशन या वेबऑथन मानक पर बनाया गया है, जो यूजर्स के अकाउंट्स को बेहतर ढंग से सुरक्षित करने के लिए सार्वजनिक-की क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है।
इसमें यूजर्स को पासवर्ड टाइप करने के बजाय सिर्फ एक पासकी डालना होता है, जो उनके ईमेल या फोन पर वन-टाइम कोड के रूप में भेजा जाता है।
सुविधा
पासकी से ये काम होंगे आसान
इससे यूजर्स को कठिन पासवर्ड बनाने और उन्हें याद रखने की मुश्किल नहीं उठानी पड़ती।
पासकी के जरिए यूजर्स अपने अकाउंट्स को भी ऐसे हैकर्स से बचा सकते हैं, जो पासवर्ड का अनुमान लगाने या पासवर्ड चोरी करने का प्रयास करते हैं।
अधिक सुरक्षा के लिए पासकी को बायोमैट्रिक या पिन के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
यूजर्स को लॉग-इन का अधिक आसान और सुरक्षित तरीका प्रदान करने वाली कंपनियां तेजी से इसे अपना रही हैं।
टेक्नोलॉजी
ऐसे काम करती है पासकी
पासकी पब्लिक-की क्रिप्टोग्राफी तकनीक के जरिए काम करती है। इसमें एक-दूसरे से जुड़ी हुई 2 की यानी पब्लिक की और प्राइवेट की है।
पब्लिक की वेब सर्वर पर और प्राइवेट की यूजर के डिवाइस पर स्टोर होती है।
यूजर जब लॉग इन करते हैं तो सर्वर डिवाइस को एक चैलेंज भेजता है, जो इसे हल करने और प्रतिक्रिया वापस भेजने के लिए प्राइवेट की का उपयोग करता है।
सर्वर पब्लिक की के साथ प्रतिक्रिया की पुष्टि करता है।
इस्तेमाल
ऐपल और एंड्रॉयड डिवाइस में इस्तेमाल कर सकते हैं पासकी
नए फोन और कंप्यूटर या लैपटॉप आदि में पासकी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
बड़ी टेक कंपनियों माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और ऐपल जैसी कंपनियों ने FIDO अलायंस और W3C का इस्तेमाल कर पासकी विकसित की है।
iOS 16 और इससे ऊपर के ऐपल डिवाइस में मास्टर पासवर्ड के बजाय टचID या फेसID वाली पासकी का उपयोग किया जा सकता है।
एंड्रॉयड 9 से ऊपर चलने वाले स्मार्टफोन और टैबलेट में गूगल पासवर्ड मैनेजर के साथ पासकी इस्तेमाल कर सकते हैं।
बनाएं
ऐसे बनाएं पासकी
पासकी बनाने के लिए यूजर्स के पास पासकी सपोर्ट करने वाली माइक्रोसॉफ्ट, गूगल या ऐपल जैसी कंपनियों का अकाउंट होना चाहिए।
इसके बाद यूजर्स को पासकी सपोर्ट करने वाली ऐप या वेबसाइट पर साइन इन करना होगा।
एक बार जब यूजर ऐसा कर लेते हैं तो उनके पास एक पासकी होगी, जो उनके अकाउंट और डिवाइस के लिए यूनिक होगी।
iOS और मैकOS पर पासकी के लिए पहले डिवाइस पर आईक्लाउट की-चेन एक्टिवेट करना होगा।
सपोर्ट
ये ब्राउजर सपोर्ट करते हैं पासकी
विंडोज आधारित कंप्यूटर और लैपटॉप इस्तेमाल करने वाले यूजर्स विंडोज हैलो के साथ पासकी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अपने माइक्रोसॉफ्ट अकाउंट से लॉग करने वाले यूजर्स विंडोज 10 और विंडोज 11 दोनों पर पासकी का उपयोग कर सकते हैं।
इसके अलावा गूगल क्रोम, माइक्रोसॉफ्ट एज, ऐपल सफारी या मोजिला फायरफॉक्स के साथ पासकी का उपयोग कर सकते हैं।
हालांकि, इन सभी ब्राउजर के लेटेस्ट वर्जन में ही पासकी का सपोर्ट मिलेगा।
एंड्रॉयड
एंड्रॉयड यूजर्स ऐसे बना सकते हैं पासकी
एंड्रॉयड डिवाइस पर पासकी बनाने के लिए यूजर गूगल की पासकी से जुड़ी वेबसाइट पर जाकर अपने गूगल अकाउट में साइन करें। इसके बाद "पासकी बनाएं" पर क्लिक कर सकते हैं।
अपनी पहचान वेरिफाई करने के लिए संकेतों का पालन करें और डिवाइस को पासकी के रूप में जोड़ें।
गूगल ने मई में पहली बार पासकी रोल आउट किया था और उसने इसे पासवर्ड के खत्म होने की शुरुआत बताया था।
खत्म
पासवर्ड को खत्म कर देगा पासकी?
पासवर्ड की तुलना में पासकी कई बेहतरीन सुविधाएं प्रदान करती है। उदाहरण के लिए पासकी ज्यादा सुरक्षित है और इसका इस्तेमाल भी आसान है।
पासकी से जुड़ी कुछ चुनौतियां भी हैं। जैसे यह अभी सभी ऐप्स और वेबसाइट को सपोर्ट नहीं करती हैं।
हालांकि, बड़ी टेक कंपनियों द्वारा पासकी को बढ़ावा दिए जाने से माना जा रहा है कि भविष्य में पासवर्ड पूरी तरह से गायब हो सकता है।