अंतरिक्ष में सनस्क्रीन, दवाओं और मेयोनीज पर गुरुत्वाकर्षण का क्या पड़ता है असर?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि सनस्क्रीन, क्रीम, दवाएं और मेयोनीज जैसी चीजें गुरुत्वाकर्षण के बिना अलग तरह से काम कर सकती हैं। इसी सवाल का जवाब खोजने के लिए यूरोप के वैज्ञानिकों ने एक खास प्रयोग अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर भेजा है। इस प्रयोग का नाम 'कॉलिस' है, जो सॉफ्ट मटीरियल, जेल और क्रीम जैसे प्रोडक्ट्स पर ग्रेविटी के छिपे प्रभाव को समझने के लिए बनाया गया है।
असर
गुरुत्वाकर्षण का क्या होता है असर?
पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण लगातार प्रोडक्ट्स को खींचता है, जिससे उनके अंदर मौजूद माइक्रो स्ट्रक्चर धीरे-धीरे बदलते रहते हैं। इसी वजह से इन चीजों की शेल्फ लाइफ, असर और स्थिरता में फर्क आता है। वैज्ञानिक माइक्रोग्रैविटी में यह जानना चाहते हैं कि ये मटीरियल बिना ग्रेविटी के कैसे व्यवहार करते हैं। इसी कारण कॉलिस को यूरोप की स्पेस एजेंसियों के सहयोग से ISS पर प्रयोग के लिए भेजा गया है।
विज्ञान
कॉलिस कैसे समझेगा प्रोडक्ट्स के बदलाव का पूरा विज्ञान?
कॉलिस एक खास वैज्ञानिक लैब है जो स्पेस में कई तकनीकों का इस्तेमाल करके सॉफ्ट मटीरियल के बदलावों को ट्रैक करती है। यह रोशनी के सहारे मटीरियल के बूढ़ा होने, क्रिस्टल बनने, गर्मी पर प्रतिक्रिया और नए ढांचे बनने जैसी चीजों की जांच करती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, माइक्रोग्रैविटी में अध्ययन करने से पता चलता है कि ग्रेविटी चुपके से महीनों और सालों तक प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता को कैसे बदलती रहती है।
वैज्ञानिक समझ
शुरुआती नतीजों से बड़ी वैज्ञानिक समझ मिली
अब तक मिले शुरुआती नतीजों में सामने आया है कि ग्रेविटी का असर सॉफ्ट मटीरियल पर उम्मीद से ज्यादा गहरा होता है। कई बार प्रोडक्ट्स का जमना, खराब होना या असर कम होना इसी वजह से होता है। कॉलिस पहले से ही नैनोपार्टिकल वाले सैंपल्स की जांच कर चुका है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह शोध भविष्य में बेहतर प्रोडक्ट डिजाइन करने में मदद करेगा और धरती पर लोगों के जीवन की गुणवत्ता भी सुधार सकता है।