
किन-किन ग्रहों पर अब तक बारिश का चला है पता?
क्या है खबर?
दुनिया की कई अंतरिक्ष एजेंसियां अब सौरमंडल के दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावना तलाश रही हैं।
नासा और अन्य एजेंसियां नए मिशन भेजकर यह जानने की कोशिश कर रही हैं कि इन ग्रहों पर जीवन के लिए जरूरी हालात मौजूद हैं या नहीं।
अब तक कई ग्रहों पर प्राकृतिक गतिविधियों के सबूत मिले हैं। इन खोजों में वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया है कि कुछ ग्रहों पर अलग-अलग तरह की बारिश होती है।
शुक्र और बृहस्पति
शुक्र और बृहस्पति पर कैसे होती है बारिश?
शुक्र ग्रह के वातावरण में सल्फ्यूरिक एसिड की बारिश होती है, लेकिन यह सतह तक नहीं पहुंचती, क्योंकि रास्ते में भाप बनकर उड़ जाती है।
यह जानकारी यूरोपीय स्पेस एजेंसी के वीनस एक्सप्रेस मिशन से मिली। वहीं बृहस्पति पर बादलों में अमोनिया की बारिश होती है।
इसके अलावा, वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके गहरे वातावरण में हीरे की बारिश हो सकती है, जो इसके भारी दबाव के कारण बनते हैं। यह जानकारी नासा के जूनो मिशन से मिली है।
शनि
शनि और उसके चंद्रमा टाइटन पर बारिश
शनि ग्रह पर हीरे की बारिश होने की संभावना है। यह भारी दबाव और गैसों की वजह से होती है।
यह बात कैसिनी मिशन के दौरान सामने आई थी। शनि का चंद्रमा टाइटन, बारिश के मामले में बहुत खास है, क्योंकि वहां मीथेन और एथेन की तरल बूंदों की बारिश होती है।
यह पृथ्वी जैसी लगती है, लेकिन उसमें पानी की जगह गैस होती है। टाइटन पर झीलें, नदियां और बादल भी देखे गए हैं, जो बारिश से जुड़े हैं।
अन्य
यूरेनस, नेपच्यून और दूसरे ग्रहों की अनोखी बारिश
यूरेनस और नेपच्यून ग्रहों के गहरे वातावरण में भी हीरे की बारिश होने के संकेत मिले हैं।
इन ग्रहों की भीतरी परतों में कार्बन से हीरे बनने की संभावना है। इसके अलावा, नेपच्यून के चंद्रमा ट्राइटन पर भी बर्फ और गैसीय नाइट्रोजन जैसी क्रायोजेनिक बारिश हो सकती है।
सौरमंडल से बाहर के एक ग्रह HD 189733b पर वैज्ञानिकों को कांच जैसी चीजों की बारिश के संकेत मिले हैं। यह जानकारी हबल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से मिली थी।