#NewsBytesExplainer: बेशकीमती एस्ट्रोयड से जुड़ा नासा का साइकी मिशन क्या है?
क्या है खबर?
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा आज (13 अक्टूबर) भारतीय समानुसार रात लगभग 8:00 बजे एक अभूतपूर्व मिशन लॉन्च करने की तैयारी में है।
इस मिशन में साइकी नाम के एक एस्ट्रोयड से जुड़ी अधिक से अधिक जानकारी हासिल करने का प्रयास किया जाएगा।
मिशन के लिए इस्तेमाल होने वाले अंतरिक्ष यान को भी साइकी नाम दिया गया है।
नासा के साइकी मिशन और उसके उद्देश्य के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
उद्देश्य
मिशन का प्राथमिक उद्देश्य
साइकी मिशन का प्राथमिक उद्देश्य धरती से लगभग 220 करोड़ मील दूर एस्ट्रोयड साइकी का गहन अध्ययन करना है, जो ब्रम्हांड के प्रारंभिक निर्माण और ग्रहों की कोर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है।
इस मिशन का नेतृत्व एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा किया जा रहा है और यह नासा के डिस्कवरी कार्यक्रम का हिस्सा है।
साइकी मिशन का अंतरिक्ष यान सोलर इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन का इस्तेमाल कर साइकी एस्ट्रोयड की यात्रा करेगा।
सौरमंडल
ग्रहों के शुरुआती निर्माण खंड का हिस्सा हो सकता है साइकी
सोलर इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन में हवा के बजाय सूर्य के प्रकाश और अंतरिक्ष के जरिए अंतरिक्ष यान सफर करता है।
साइकी मिशन मंगल ग्रह के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव का लाभ उठाकर अपनी यात्रा को आगे बढ़ाएगा। इससे ईंधन बचाने में मदद मिलती है।
सौरमंडल में मौजूद धातु का एस्ट्रोयड इस मिशन को उल्लेखनीय बनाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, साइकी नाम का यह एस्ट्रोयड ग्रहों के शुरुआती निर्माण खंड का हिस्सा हो सकता है।
जानकारी
धरती पर मौजूद सोने से भी मूल्यवान है यह एस्ट्रोयड
मंगल और बृहस्पति के बीच मौजूद एस्ट्रोयड बेल्ट की सबसे बाहरी परत में रहने वाला यह एस्ट्रोयड धातु से बना है। यह एस्ट्रोयड बेशकीमती माना जा रहा है। इसकी कीमत धरती पर मौजूद सभी सोने के कुल मूल्य से भी अधिक आंकी जा रही है।
पेलोड
क्या चट्टानी ग्रह के निर्माण का हिस्सा है साइकी?
साइकी मिशन का ऑर्बिटर एस्ट्रोयड के बारे में अधिक जानकारी जुटाने के लिए अपने पेलोड का उपयोग करेगा।
पृथ्वी आधारित रडार और ऑप्टिकल दूरबीनों द्वारा प्राप्त आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि एस्ट्रोयड साइकी एक ग्रह के धातु से भरे आंतरिक भाग का हिस्सा हो सकता है।
माना जा रहा है कि यह एक चट्टानी ग्रह के निर्माण का हिस्सा है, जो कभी ग्रह नहीं बना।
अध्ययन
साइकी को लेकर ये है नासा का अनुमान
नासा की वेबसाइट के मुताबिक, साइकी अपने प्रारंभिक गठन के दौरान अन्य बड़े पिंडों से टकराया होगा और अपना बाहरी चट्टानी आवरण खो दिया होगा।
इंसान पृथ्वी के धातु कोर को देख या माप नहीं सकते हैं। इसलिए साइकी का अध्ययन टकरावों और पदार्थ के इकट्ठा होने से जुड़ी जानकारी प्रदान कर सकता है, जिसने पृथ्वी जैसे ग्रहों का निर्माण किया।
एस्ट्रोयड के अध्ययन से सौरमंडल की अन्य वस्तुओं के निर्माण की जुड़ी अलग जानकारी प्राप्त हो सकती है।
पदार्थ
साइकी की सतह पर नहीं है आयरन ऑक्साइड की अधिकता
मंगल, शुक्र और पृथ्वी ग्रह पर चट्टानें आयरन ऑक्साइड से भरी हुई हैं। साइकी की सतह पर इन रासायनिक यौगिकों की अधिकता नहीं है।
इससे पता चलता है कि साइकी का इतिहास ग्रहों के निर्माण से जुड़ी मानक कहानियों से अलग है।
यदि साइकी किसी ग्रह के बचे हुए टुकड़े का मूल पदार्थ साबित होता है तो वैज्ञानिक यह जान पाएंगे कि इसका इतिहास चट्टानी ग्रहों से कैसे मिलता-जुलता और अलग है।
मिशन
मिशन में होंगे ये वैज्ञानिक उपकरण
मिशन में 3 वैज्ञानिक उपकरण और एक गुरुत्वाकर्ष चांज शामिल है, जो सौर मंडल के उत्पत्ति को सुलझाने में मदद करेंगे। इसका मैग्नोमीटर एस्ट्रॉएड साइकी पर प्राचीन चुंबकीय क्षेत्र के सबूत तलाशेगा।
ऑर्बिटर के गामा-रे और न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर एस्ट्रॉएड बनाने वाले रासायनिक तत्वों को निर्धारित करने में वैज्ञानिकों की मदद करेंगे।
इसका मल्टी स्पेक्ट्रल इमेजर साइकी की खनिज संरचना के साथ-साथ इसके स्थाल की रचना के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।
पहला
वैज्ञानिक पता लगाएंगे ये जानकारी
साइकी नासा का पहला मिशन होगा, जिसमें गहरे अंतरिक्ष में हॉल-इफेक्ट थ्रस्टर्स का उपयोग किया जाएगा।
यह मिशन नासा, विश्वविद्यालयों और उद्योग के संसाधनों और जानकारी पर आधारित है। मिशन साइकी एस्ट्रोयड के करीब जाएंगा और इसके रहस्यमय बाहरी हिस्से की जांच करेगा।
इससे मिले डाटा से वैज्ञानिकों को यह पता चलने की उम्मीद है कि क्या साइकी एक असफल ग्रह है, जो दुर्घटनाग्रस्त हो गया था या एक फिर कोई पिंड या ज्वालामुखी है।