इंटेल ने लॉन्च किया नया ब्लॉकचेन चिप, NFT और बिटकॉइन माइनिंग में करेगा मदद
क्या है खबर?
कंप्यूटर चिपसेट और प्रोसेसर बनाने वाली कंपनी इंटेल कॉर्प की ओर से नया ब्लॉकचेन चिप लॉन्च किया गया है।
इस चिप का इस्तेमाल बिटकॉइन माइनिंग और NFTs माइनिंग जैसी ब्लॉकचेन ऐप्लिकेशंस के लिए किया जा सकेगा।
क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है और इंटेल नए चिप लॉन्च के साथ इसका फायदा उठाने की कोशिश करेगी।
इंटेल ब्लॉकचेन चिप का फायदा इस टेक्नोलॉजी के साथ काम करने वाली कंपनियों को मिलेगा।
चिप
जैक डॉर्सी की कंपनी खरीदेगी नया इंटेल चिप
इंटेल अपने ब्लॉकचेन चिप को अगले कुछ महीनों में मार्केट में बिक्री के लिए उतार सकती है।
सामने आया है कि पूर्व ट्विटर CEO जैक डॉर्सी की कंपनी ब्लॉक इंक सबसे पहले इसका इस्तेमाल शुरू कर सकती है।
बता दें, ब्लॉक इंक का नाम पहले स्क्वेयर इंक था, जिसे हाल ही में बदला गया है।
कंपनी का नया नाम दिखाता है कि इसका फोकस ब्लॉकचेन और उससे जुड़ी दूसरी टेक्नोलॉजी पर है।
ट्रेंड
पिछले कुछ साल में चर्चा में आई ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी
ब्लॉकचेन्स पब्लिक लेजर की तरह काम करती हैं और इनमें कंप्यूटर्स के बड़े नेटवर्क पर लेन-देन से जुड़े रिकॉर्ड्स सुरक्षित रखे जा सकते हैं।
पिछले कुल साल में इससे जुड़ी चर्चा तेज हुई है और 'वेब.3' और 'NFTs' जैसे शब्द नया ट्रेंड बने हैं।
इंटेल का कहना है कि नया चिप ब्लॉकचेन से जुड़े ऐसे काम तेजी से पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिनमें ज्यादा कंप्यूटर पावर और ऊर्जा की जरूरत होती है।
विकल्प
इस्तेमाल हो रहे हैं दूसरी कंपनियों के चिप
चिप डिजाइनर Nvidia कॉर्प के ग्राफिक्स कार्ड्स का इस्तेमाल अभी ब्लॉकचेन और NFT माइनिंग के लिए किया जाता है।
Nvidia ने ईथेरम माइनिंग के लिए अलग से एक चिप भी लॉन्च किया है।
यही वजह है कि इंटेल की ओर से एक नया सेगमेंट कस्टम कंप्यूट ग्रुप नाम से तैयार किया गया है, जो इसकी एक्सेलिरेटेड कंप्यूटिंग सिस्टम्स एंड ग्राफिक्स बिजनेस यूनिट का हिस्सा है।
यानी कि आने वाले दिनों में ऐसे नए ब्लॉकचेप चिप लॉन्च हो सकते हैं।
समझें
आखिर क्या है ब्लॉकचेन का मतलब?
ब्लॉकचेन को दो हिस्सों में बांटकर आसानी से समझा जा सकता है।
पहले हिस्से 'ब्लॉक' का मतलब डाटा ब्लॉक्स से है, जिनमें किसी डिजिटल डॉक्यूमेंट से जुड़ा डाटा स्टोर होता है।
इस तरह के कई ब्लॉक्स मिलने के चलते एक श्रंखला बनती जाती है, जिस 'चेन' से ब्लॉकचेन का निर्माण होता है।
यानी कि एक ब्लॉक में डाटा स्पेस खत्म होने के बाद दूसरा ब्लॉक इस चेन में जुड़ जाता है और सारा डाटा आपस में जुड़ा होता है।
तरीका
कैसे काम करती है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी?
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी दरअसल डाटा ब्लॉक्स पर आधारित एक्सचेंज की प्रक्रिया है।
ये सभी ब्लॉक्स एनक्रिप्टेड होते हैं, यानी कि इनमें स्टोर डाटा चोरी नहीं किया जा सकता।
इस व्यवस्था से किसी भी तरह के दस्तावेज और करेंसी को भी डिजिटल बनाकर ब्लॉक्स में उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है।
एक बार स्टोर डाटा या डॉक्यूमेंट को केवल डिक्रिप्शन के बाद ऐक्सेस किया जा सकता है और यह पूरी तरह सुरक्षित रहता है।
सवाल
क्या होती है बिटकॉइन या NFT माइनिंग?
बिटकॉइन या NFT माइनिंग उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिससे नए बिटकॉइन या NFTs सर्कुलेशन में आते हैं।
माइनर्स का काम ब्लॉकचेन की पूरी हिस्ट्री डाउनलोड करना और उसे ब्लॉक्स में असेंबल करना होता है।
किसी एक ब्लॉक में शामिल किया गया ट्रांजैक्शन दूसरे माइनर्स की ओर से वेरिफाइ किए जाने पर पिछले माइनर को ब्लॉक रिवॉर्ड मिलता है।
आसान भाषा में समझें तो माइनर्स ब्लॉकचेन पर किसी ट्रांजैक्शन की, या फिर NFT खरीदे जाने की पुष्टि करते हैं।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी करीब 30 साल पुरानी है और सबसे पहले इसका इस्तेमाल 1991 में स्टुअर्ट हबर और डबल्यू स्कॉट ने किया था। उन्होंने डिजिटल डॉक्यूमेंट्स को टाइमस्टैंप करने के लिए इसकी मदद ली थी। 2009 में बिटकॉइन आने के बाद यह टेक्नोलॉजी चर्चा में आई।