चीन ने किया वायरलेस ट्रेन सिस्टम का सफल टेस्ट, क्या है इसकी खासियत?
क्या है खबर?
चीन ने एक नए रेल सिस्टम का टेस्ट किया है, जिसमें मालगाड़ियों को वायरलेस तरीके से आपस में जोड़ा गया। यह टेस्ट इनर मंगोलिया के बाओशेन रेलवे ट्रैक पर किया गया। इस दौरान 7 मालगाड़ियां एक साथ बहुत पास-पास चलीं। इन सभी ट्रेनों में करीब 35,000 टन माल लदा था। सरकारी चैनल CCTV के अनुसार, इस तकनीक से रेल माल ढुलाई की क्षमता में बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है।
खासियत
नई तकनीक की सबसे बड़ी खासियत क्या है?
इस नई तकनीक में ट्रेनों को आपस में जोड़ने के लिए किसी तरह की लोहे की कपलिंग का इस्तेमाल नहीं किया गया। ट्रेनें वायरलेस सिग्नल से एक-दूसरे से जुड़ी रहीं। इससे वे एक साथ तेज चल सकीं और जरूरत पड़ने पर एक साथ ब्रेक भी लगा सकीं। इसके कारण ट्रेनों के बीच जरूरी दूरी भी कम हो गई। इससे बिना नई पटरियां बनाए ज्यादा मालगाड़ियां एक साथ चलाई जा सकती हैं। यह तरीका खर्च भी कम करता है।
योजना
रेल क्षमता बढ़ाने की चीन की बड़ी योजना
चीन लंबे समय से अपनी रेल माल ढुलाई की क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहा है। इस साल की पहली 3 तिमाहियों में ही देश ने 3 अरब टन से ज्यादा माल रेल से ढोया है। चीन दूसरे देशों से भी अपने रेल संपर्क बढ़ा रहा है, जिसका मकसद व्यापार को तेज करना है। नई रेल लाइन बनाना बहुत महंगा होता है, इसलिए चीन ट्रेन की दूरी घटाने और नई तकनीक से क्षमता बढ़ाने पर जोर दे रहा है।
भूमिका
सरकारी कंपनियां निभा रही हैं अहम भूमिका
इस ग्रुप कंट्रोल सिस्टम को सरकारी माइनिंग कंपनी चाइना शेनहुआ एनर्जी और दूसरे संस्थानों ने मिलकर तैयार किया है। कंपनी ने पहले भी हल्के ट्रेन काफिलों पर इसका टेस्ट किया था। यह सिस्टम ट्रेन-टू-ट्रेन और ट्रेन-टू-ग्राउंड कम्युनिकेशन पर काम करता है। इससे स्टेशन की एंट्री और एग्जिट क्षमता भी बढ़ सकती है। चीन का दावा है कि वह इस तकनीक में महारत हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।