दिवाली: सामान्य पटाखों पर लगा प्रतिबंध, जानें इलेक्ट्रॉनिक पटाखे कैसे होते हैं सुरक्षित
दिल्ली समेत देश के कई अन्य शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण पिछले कुछ सालों से दिवाली के दौरान पारंपरिक पटाखों के इस्तेमाल पर देशभर के कई शहरों में महत्वपूर्ण प्रतिबंध लगे हुए हैं। हालांकि, प्रतिबंध के बावजूद लोगों के बीच रोशनी और ध्वनि के साथ दिवाली मनाने की इच्छा बनी हुई है। इसलिए पटाखों का विकल्प ढूंढ लिया गया है और इलेक्ट्रॉनिक पटाखे पेश किए गए हैं।
इलेक्ट्रॉनिक पटाखे क्या हैं?
इलेक्ट्रॉनिक पटाखे असली पटाखों की तरह रोशनी और धमाका करते हैं। इन्हें रिमोट से चलाया जा सकता है, जिससे लोग विभिन्न आवाजें सुन सकते हैं। ये पटाखे सुरक्षित हैं और इस्तेमाल में आसान हैं। पारंपरिक पटाखों की तुलना में इनसे कम प्रदूषण होता है। इसके अलावा, ये किफायती होते हैं और लंबे समय तक चलते हैं, इसलिए जो लोग टिकाऊ विकल्प चाहते हैं, उनके लिए ये एक अच्छा विकल्प हैं।
कैसे काम करते हैं ये?
इलेक्ट्रॉनिक पटाखे छोटे पॉड में बने होते हैं, जिनमें LED लाइट लगी होती है। जब इन्हें चालू किया जाता है, तो ये पॉड चिंगारी छोड़ते हैं, जिससे पटाखों जैसी आवाज पैदा होती है। यूजर्स रिमोट से आवाज की सेटिंग बदल सकते हैं। इन्हें बाजारों और ऑनलाइन साइटों से खरीदा जा सकता है और इनकी कीमत लगभग 2500 रुपये होती है। ये पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प हैं, लेकिन पूरी तरह सुरक्षित नहीं होते। LED बल्ब कम ऊर्जा खर्च करते हैं।