इसी महीने रोलआउट होगी 5G कनेक्टिविटी, जानें नई टेक्नोलॉजी के बारे में सबकुछ
क्या है खबर?
भारत में बीते दिनों 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी खत्म हो गई है और अब 5G सेवाओं का रोलआउट शुरू होगा।
भारती एयरटेल ने अगस्त के आखिर में 5G लॉन्च की बात कही है और रिलायंस जियो की ओर से 15 अगस्त को 5G रोलआउट शुरू करने के संकेत मिल रहे हैं।
नई टेक्नोलॉजी आपकी जिंदगी और अनुभव को कैसे प्रभावित करेगी, इसके बारे में समझना जरूरी है।
आइए जानते हैं कि 5G कनेक्टिविटी के काम करने का तरीका क्या है।
अंतर
मौजूदा 4G नेटवर्क्स से किस तरह अलग है 5G?
मोबाइल नेटवर्क की पांचवीं जेनरेशन 5G वायरलेस नेटवर्क्स से जुड़ा ग्लोबल नेटवर्क्स स्टैंडर्ड है, जो 4G के मुकाबले बेहतर क्षमताओं पर आधारित है।
5G कनेक्टिविटी के साथ बेहतर स्पीड ही नहीं, गेमिंग, एंटरटेनमेंट और दूसरे यूज-केसेज हाई बैंडविद और लो लेटेंसी के साथ मिलेंगे।
5G स्पीड्स 4G के मुकाबले 100 गुना तक ज्यादा हो सकती है, जिसके साथ कई घंटे की मूवी चंद सेकेंड्स में डाउनलोड की जा सकेगी।
स्ट्रीमिंग और AR गेमिंग जैसी जरूरतों में भी इसका फायदा मिलेगा।
नेटवर्क्स
दो तरह के होते हैं 5G नेटवर्क्स
5G नेटवर्क्स दो तरह के होते हैं और अलग तरह से काम करते हैं।
पहले mmWave 5G के साथ कम से कम लेटेंसी के साथ सुपर फास्ट स्पीड मिलती है, लेकिन यह छोटे क्षेत्र तक सीमित रहता है।
वहीं, दूसरी ओर sub-6GHz 5G नेटवर्क्स (mmWave के मुकाबले) कम स्पीड देते हैं, लेकिन इसकी नेटवर्क कवरेज बड़े क्षेत्र तक फैली होती है।
यही वजह है कि भारत में कंपनियां sub-6GHz पर फोकस करेंगी।
बैंड्स
क्या होते हैं 5G बैंड्स और कितने बैंड्स की जरूरत है?
पिछले कुछ साल में 5G सपोर्ट के साथ लॉन्च होने वाले स्मार्टफोन्स 5G बैंड्स की संख्या बताते हैं, जिन्हें वे सपोर्ट करते हैं।
कई डिवाइसेज नौ से 12 बैंड्स तक को सपोर्ट करते हैं।
दरअसल, 5G नेटवर्क कई फ्रीक्वेंसीज पर काम करते हैं और इन्हें कई छोटी फ्रीक्वेंसी रेंजेस में बांटा जाता है, जिन्हें फ्रीक्वेंसी बैंड्स भी कहते हैं।
डिवाइसेज में ज्यादा बैंड्स के सपोर्ट का मतलब है कि उसमें बेहतर 5G रिसेप्शन मिलेगा।
इस्तेमाल
भारत में किन बैंड्स का सबसे ज्यादा इस्तेमाल?
कुछ बैंड्स लो फ्रीक्वेंसीज (बेहतर कवरेज, कम स्पीड) रिसीव करते हैं, बाकी मिड-रेंज फ्रीक्वेंसीज और कुछ हाई-रेंज फ्रीक्वेंसीज (तेज स्पीड, सीमित कवरेज) के साथ काम करते हैं।
भारत में 5G नेटवर्क्स रोलआउट होने के बाद n78 जैसे मिड-रेंज बैंड्स का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होगा।
ऐसे में अगर आपका डिवाइस कुछ मिड-रेंड बैंड्स को सपोर्ट करता है, जो मिड-रेंज स्पेक्ट्रम कवर करते हैं तो उसकी मदद से स्पेक्ट्रम के बड़े हिस्से में 5G कनेक्टिविटी मिलेगी।
डिवाइस
क्या आपके स्मार्टफोन में मिलता है 5G सपोर्ट?
वैसे तो नए 5G डिवाइस इसकी ब्रैंडिंग के साथ आ रहे हैं, लेकिन आप हार्डवेयर सेक्शन में जाकर प्रोसेसर का नाम चेक कर सकते हैं।
क्वालकॉम के स्नैपड्रैगन 865, 865+, 870, 888, 888+, 8 Gen 1, 8+ Gen 1, 695, 765/765G, 750/750G, 768/768G और 778/778G/778+ चिपसेट 5G सपोर्ट के साथ आते हैं।
मीडियाटेक की पूरी डायमेंसिटी चिपसेट सीरीज में 5G सपोर्ट दिया गया है।
ऐपल, सैमसंग और गूगल के नए डिवाइसेज भी 5G सपोर्ट के साथ आते हैं।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत में अगस्त-सितंबर महीने में पहले फेज का रोलआउट शुरू होगा। पहले फेज में भारत के 13 शहरों में 5G सेवाएं मिलना शुरू होंगी। इन शहरों की लिस्ट में अहमदाबाद, बेंगलुरू, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, गांधीनगर, गुरुग्राम, हैदराबाद, जामनगर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई और पुणे शामिल हैं।