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कौन हैं जेल से जीतने वाले बाहुबली अनंत सिंह? मोकामा सीट पर 20 साल से दबदबा
बिहार में अनंत सिंह लगातार छठी बार विधायक बने हैं

कौन हैं जेल से जीतने वाले बाहुबली अनंत सिंह? मोकामा सीट पर 20 साल से दबदबा

लेखन गजेंद्र
Nov 14, 2025
08:45 pm

क्या है खबर?

बिहार के विधानसभा चुनाव 2025 में जिस सीट की सबसे अधिक चर्चा है, उसमें राजधानी पटना में शामिल मोकामा भी रही, जहां 2 बाहुबलियों के बीच आमने-सामने टक्कर थी। सीट पर जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने अनंत सिंह को टिकट दिया था, जो 5 बार के विधायक हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने उनके सामने बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा सिंह को उतारा था। परिणाम के दिन अनंत जेल में हैं, लेकिन छठी बार यहां से जीत दर्ज की।

चुनाव

कितने अंतर से जीते अनंत?

भूमिहार (उच्च जाति के जमींदार, बिहार की आबादी का लगभग 2-3 प्रतिशत) बहुल सीट मानी जाने वाली मोकामा से अनंत को 91,416 वोट मिले हैं। उन्होंने वीणा को 28,206 वोट से हराया है। तीसरे स्थान पर जन सुराज पार्टी के प्रियदर्शी पीयूष रहे हैं, जिनको 19,365 वोट मिले हैं। अनंत की जीत के बाद मोकामा में ढोल-नगाड़े बजे। उनके समर्थकों ने जगह-जगह पोस्टर लगाए हैं, जिस पर लिखा है, 'जेल का फाटक टूटेगा, हमारा शेर छूटेगा।'

चुनाव

चुनाव के दौरान जेल क्यों भेजे गए अनंत?

मोकामा में 2 बाहुबलियों के उतरने से माहौल वैसे ही गर्म था। इसी बीच 30 अक्टूबर को RJD के पूर्व नेता और गैंगस्टर से राजनेता बने दुलारचंद यादव की हत्या कर दी गई। इससे क्षेत्र में बवाल खड़ा हो गया। करीब 36 घंटे तक मोकामा से बाढ़ तक अनंत और दुलारचंद के समर्थक भिड़ते रहे। बवाल शांत कराने के लिए 2 नवंबर को अनंत को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। दुलारचंद जन सुराज उम्मीदवार पीयूष का प्रचार कर रहे थे।

पहचान

कौन हैं अनंत?

64 वर्षीय अनंत बाढ़ प्रखंड के नदावन गांव के निवासी हैं, इसलिए उनका वर्चस्व बाढ़ से मोकामा तक दिखता है। वे दिलचस्प बयानों के लिए चर्चित हैं। लोग उन्हें "छोटे सरकार" कहते हैं। अनंत दिवंगत बाहुबली नेता दिलीप सिंह (बड़े सरकार) के छोटे भाई हैं, जो 1990 के दशक में मोकामा से विधायक थे। अनंत अधिकतर सफेद पैंट शर्ट और काला चश्मा लगाते हैं। अनंत पर हत्या के 7 और अपहरण के 4 मामलों सहित 28 आपराधिक आरोप हैं।

क्यों

मोकामा सीट पर अनंत के परिवार का दबदबा

मोकामा पर पिछले 35 साल से सिंह परिवार का दबदबा है। 1990 में दिलीप सिंह यहां से पहले बाहुबली विधायक थे। वे राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री भी थे। इसके बाद 2000 में सूरजभान सिंह जीते। पहले दिलीप-सूरजभान दोस्त थे, लेकिन 2000 में सूरजभान ने दिलीप को हरा दिया, जिससे उनके संबंधों में कड़वाहट आ गई। वर्ष 2005 में अनंत पहली बार JDU से विधायक बने। तब से उनके परिवार के अलावा कोई बाहरी इस सीट पर नहीं जीता।

परिणाम

कैसे जीतते आ रहा है अनंत का परिवार?

अनंत 2005 से 2015 तक JDU से लगातार 3 बार विधायक रहे। 2015 में उनको JDU ने टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय उतरे और जीते। वर्ष 2020 में उनको राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने टिकट दिया, लेकिन 2022 में जेल जाने पर उनकी विधायकी चली गई, तब उनकी पत्नी नीलम सिंह RJD से विधायक बनीं। दरअसल, भूमिहार लालू प्रसाद यादव के शासन को अक्सर "अंधकार युग" कहते हैं, ऐसे में सिंह परिवार उनके लिए रक्षक साबित हुआ था।

वोट

भूमिहार मतदाताओं का दबदबा

मोकामा में कुल मतदाताओं में 30 प्रतिशत (करीब 82,000) मतदाता भूमिहार हैं। इसके बाद 20 प्रतिशत यादव मतदाता हैं। सवर्ण जातियों का वोट 28,000 के आसपास है। ऐसे में तीसरी बड़ी जाति कुर्मी और उपजाति धानुक मतदाता जीत-हार का दम रखते हैं। उनके करीब 47,000 वोट हैं। दलित-मुस्लिम मतदाता करीब 28,000 और 11,000 हैं। दो भूमिहार और एक धानुक उम्मीदवार (पीयूष) के सामने होने से वोट बंटने की संभावना थी, लेकिन अनंत की अन्य जातियों में स्वीकार्यता काम कर गई।

छवि

अनंत की रॉबिन हुड जैसी छवि आती है काम?

अनंत भले जेल गए हों और उन पर हत्या और अपहरण समेत 28 गंभीर मुकदमे हों, लेकिन उनकी छवि क्षेत्र में रॉबिन हुड (गरीबों का मसीहा) जैसी बताई जाती है। बताया जाता है कि किसी सरकारी विभाग में भले व्यक्ति का काम न हो रहा हो, लेकिन अनंत के दरवाजे से कोई निराश होकर नहीं जाता। 100 करोड़ रुपये से अधिक संपत्ति वाले अनंत फोन करके काम करवाते हैं और लोगों की पैसे से भी मदद करते हैं।

जानकारी

दावत देने में आगे हैं अनंत

अनंत दावत देने वाले नेता कहलाते हैं। 2019 में कांग्रेस से टिकट की चाहत में बिना बातचीत 1 लाख समर्थकों को भोजन कराकर कांग्रेस-RJD रैली में गांधी मैदान ले गए थे। अनंत इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने 2 लाख रसगुल्ले बनवाना शुरू कर दिया था।

ट्विटर पोस्ट

अनंत के घर चुनाव नतीजों से पहले बनने लगे थे रसगुल्ले