सोनिया गांधी ने तिरंगे झंडे के लिए केंद्र सरकार के कदम की निंदा की, क्या कहा?
कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी की संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने मशीन से बने पॉलिएस्टर झंडों को बड़े पैमाने पर अपनाने पर केंद्र सरकार के कदम की निंदा की है। उन्होंने द हिंदू में एक लेख लिखकर खादी को भारतीय ध्वज को धारण करने वाले एकमात्र कपड़े के रूप में बहाल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस कपड़े को राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में अपना उचित स्थान मिलना चाहिए।
अन्य देशों से आयात किया जाता है पॉलिएस्टर झंडों के लिए कच्चा माल
सोनिया ने लिखा कि राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान दिखाने और एक ऐसे संगठन के प्रति निष्ठा जताने में उनका (प्रधानमंत्री मोदी का) नैतिक पाखंड, एक मामला है, जो इसके प्रति उदासीन बना हुआ है। उन्होंने लिखा कि मशीन से निर्मित पॉलिएस्टर झंडों को बड़े पैमाने पर अपनाना, जिसके लिए कच्चा माल अक्सर बाहर से आयात किया जाता है, दूसरा मामला है। उन्होंने लिखा कि भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार झंडे उपयोग के लिए याद दिलाया।
आगे क्या लिखा सोनिया ने?
सोनिया ने आगे लिखा कि भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज को "हाथ से काते और हाथ से बुने ऊनी, कपास या रेशमी खादी के झंडों" से निर्मित होना अनिवार्य है। उन्होंने लिखा कि खादी मोटा, लेकिन बहुमुखी और मजबूत कपड़ा है, जिसे महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान खुद ही काता था। इसका हमारी ऐतिहासिक और सांस्कृति स्मृति में विशेष महत्व है। सोनिया ने खादी को भारत के गौरवशाली अतीत और भारतीय आधुनिकता का प्रतीक बताया।
सरकार ने पॉलिएस्टर को खादी झंडों के समान कर के दायरे में ला दिया- सोनिया
सोनिया ने लिखा कि 2022 में केंद्र ने संशोधन करके पॉलिएस्टर झंडों को इसमें शामिल किया ताकि उनको माल एवं सेवा कर (GST) से छूट दी जा सके। इस तरह, सरकार ने पॉलिएस्टर को खादी झंडों के समान कर के दायरे में ला दिया। उन्होंने लिखा कि कर्नाटक के हुबली में खादी झंडे बनाने वाली एकमात्र इकाई के कर्मचारी परेशान हैं और मुख्य रूप से चीन से पॉलिएस्टर आयात करने के कारण भारत इसका बड़ा आयातक बन गया है।
क्या है केंद्र सरकार का पॉलिएस्टर झंडे को लेकर आदेश?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 में देश की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने पर 'हर घर तिरंगा' नाम से अभियान शुरू किया था, जिसके तहत हर घर में तिरंगा लगाकर उसकी सेल्फी भेजनी होती है। इस अभियान से पहले सरकार ने दिसंबर 2021 में भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन करके झंडों को पॉलिएस्टर से और मशीनों की मदद से बनाने को मंजूरी दे दी। अभियान के दौरान झंडों की खपत भी बढ़ गई थी।