क्या है राज्यसभा का गणित और नागरिकता संशोधन बिल पारित कराने के लिए भाजपा की योजना?
क्या है खबर?
नागरिकता (संशोधन) बिल को लोकसभा से पारित होने के बाद अब बुधवार को संसद के उच्च सदन राज्यसभा में पेश किया जा सकता है।
बिल को राज्यसभा से पारित कराना केंद्र सरकार के लिए असली चुनौती होने वाली है क्योंकि यहां भाजपा के पास बहुमत नहीं है।
हालांकि, इसके बावजूद भाजपा बिल को पारित कराने में कामयाब होने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है।
राज्यसभा का पूरा गणित और भाजपा के आत्मविश्वास का कारण क्या है, आइए आपको बताते हैं।
गणित
बिल पास कराने के लिए 123 वोटों की जरूरत
225 सदस्यीय राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल को पारित कराने के लिए मोदी सरकार को 123 वोटों की जरूरत है।
सदन में भाजपा के अपने 83 सांसद हैं। इसके अलावा भाजपा के NDA सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के छह, अकाली दल के तीन और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया और लोक जनशक्ति पार्टी के एक-एक सांसद हैं।
इसके अलावा छोटे NDA सहयोगियों के भी लगभग एक दर्जन सांसद हैं। कुल मिलाकर NDA की सीटों की संख्या 105 के आसपास होती है।
अन्य पार्टियां
भाजपा को NDA के बाहर से इन पार्टियों के समर्थन की उम्मीद
NDA के पास 105 वोट होने का मतलब मोदी सरकार को बिल पास कराने के लिए बाहर से भी समर्थन की जरूरत पड़ेगी।
भाजपा को उम्मीद है कि AIADMK, YSR कांग्रेस पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी (TDP) और बीजू जनता दल (BJD), जोकि NDA का हिस्सा नहीं हैं, बिल का समर्थन करेंगी।
राज्यसभा में AIADMK के 11, BJD के सात और YSR कांग्रेस और TDP के दो-दो सांसद हैं। सरकार को इन पार्टियों से कुल 22 सांसदों का समर्थन मिल जाएगा।
जानकारी
चारों पार्टियों ने किया था अनुच्छेद 370 और तीन तलाक पर बिलों का समर्थन
भाजपा इन चारों पार्टियों के बिल के समर्थन में वोटिंग करने को लेकर इसलिए भी आश्वस्त है क्योंकि इन्होंने अनुच्छेद 370, जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन और तीन तलाक पर लाए गए बिलों के पक्ष में भी वोटिंग की थी।
विरोधी दल
शिवसेना भी बिल के समर्थन में
इसके अलावा भाजपा को अपने पूर्व सहयोगी शिवसेना के तीन सांसदों के समर्थन की भी उम्मीद है। शिवसेना ने सोमवार को लोकसभा में बिल के समर्थन में वोट किया था।
राज्यसभा में तीन निर्दलीय सांसद भी हैं जिन्हें सरकार अपने पक्ष में कर सकती है।
इस तरह NDA के सहयोगियों, बाहरी पार्टियों और शिवसेना की मदद से सरकार बिल के समर्थन में कुल 130 से अधिक वोट जुटाने में कामयाब हो सकती है।
विपक्ष
विपक्षी पार्टियों के 100 से अधिक सांसद, बिल रोकने के लिए करनी होगी मशक्कत
अगर विपक्षी दलों की बात करें तो कांग्रेस, DMK, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तेलंगाना राष्ट्रीय समिति, आम आदमी पार्टी, जनता दल (सेक्युलर) और वामपंथी दल बिल का विरोध कर रहे हैं।
इनमें से कांग्रेस के राज्यसभा में सबसे अधिक 46 सांसद हैं। वहीं इन सभी पार्टियों के मिलाकर लगभग 100 सांसद हैं।
ऐसे में अगर उन्हें बिल को रोकना है तो कड़ी मशक्कत करनी होगी।
विवाद
क्यों विवादों में हैं नागरिकता संशोधन बिल?
नागरिकता संशोधन बिल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को छह साल भारत में रहने के बाद देश की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन किया जाएगा।
मुस्लिमों को इसके दायरे से बाहर रखे जाने के कारण इसका विरोध हो रहा है और विरोधी इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बता रहे हैं।