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संसद में हंगामा: प्रधानमंत्री मोदी के 'ड्रामा नहीं, डिलीवरी' बयान पर विपक्ष का पलटवार
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर पलटवार किया है

संसद में हंगामा: प्रधानमंत्री मोदी के 'ड्रामा नहीं, डिलीवरी' बयान पर विपक्ष का पलटवार

संपादन Manoj Panchal
Dec 01, 2025
01:23 pm

क्या है खबर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष से संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 'ड्रामा' करने की जगह 'डिलीवरी' यानी कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि संसद को नाटकीयता के बजाय गंभीर नीतिगत चर्चाओं का मंच होना चाहिए। प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी सत्र से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए आई। उनके इस बयान पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने पलटवार करते हुए तीखा बयान दिया है।

आलोचना

प्रधानमंत्री मोदी ने की विपक्ष की पिछली रणनीति की आलोचना

प्रधानमंत्री मोदी ने सदन की कार्यवाही बाधित करने की विपक्ष की पिछली रणनीतियों की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, "पिछले 10 सालों से विपक्ष जो खेल खेल रहा है, वह अब लोगों को स्वीकार्य नहीं है। उन्हें अपनी रणनीति बदलनी चाहिए।" उन्होंने कहा, "भारत की आर्थिक प्रगति देश को विकसित भारत की तरफ ले जा रही है। यहां ड्रामा नहीं, डिलिवरी हो, नारे नहीं, नीति पर बात हो। हालांकि, कुछ पार्टियां अपनी हार पचा नहीं पाती हैं।"

प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर प्रियंका ने क्या दी प्रतिक्रिया?

कांग्रेस सांसद प्रियंका ने प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा है कि वायु प्रदूषण और मतदाता सूची संशोधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाना कोई नाटक नहीं है। उन्होंने कहा, "संसद किस लिए है? यह नाटक नहीं है। मुद्दों पर बोलना और उन्हें उठाना नाटक नहीं है।" उन्होंने आगे कहा, "यह लोकतांत्रिक चर्चा का एक अनिवार्य हिस्सा है। नाटक तो वह है, जिसमें जनता से जुड़े मुद्दों पर लोकतांत्रिक चर्चा की अनुमति नहीं दी जाती है।"

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बयान 

सपा सांसद डिंपल यादव ने भी दी प्रतिक्रिया

सपा सांसद डिंपल यादव ने भी कहा कि पूरा विपक्ष यही मांग कर रहा है कि उत्तर प्रदेश और बंगाल में जो SIR इतनी जल्दबाजी में हो रहा है वो क्यों हो रहा है। बिहार में हुई SIR ने चुनाव के नतीजों पर प्रभाव डाला है। इसकी डेडलाइन और बढ़ाई जाए। उन्होंने आगे कहा, "BLO पर बहुत प्रेशर है जिसकी वजह से वे आत्महत्या कर रहे हैं। इसका जिम्मेदार कौन है।"

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ट्विटर पोस्ट

SIR इतनी जल्दबाजी क्यों?- अखिलेश यादव

चिंता

शीतकालीन सत्र सामान्य से छोटा, विपक्ष ने जताई चिंता

इस वर्ष शीतकालीन सत्र सामान्य से छोटा है, जिसमें सामान्य 20 की बजाय केवल 15 बैठकें प्रस्तावित हैं, जो हाल के दिनों में सबसे छोटे सत्रों में से एक है। विपक्ष ने इस कटौती पर चिंता जताई है और सरकार पर बहसों को सीमित करने और संसदीय चर्चाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने दिल्ली विस्फोट के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा और बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) द्वारा आत्महत्याओं सहित कई मुद्दों पर चर्चा की मांग की है।

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