बेंगलुरू में होने वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक टली, मानसून सत्र के बाद होगी आयोजित
क्या है खबर?
विपक्ष पार्टियों की बेंगलुरू में होने वाली बैठक टल गई है। जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता केसी त्यागी ने बताया कि यह बैठक संसद के मानसून सत्र के बाद आयोजित की जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक और बिहार विधानसभा के मानसून सत्र को देखते हुए भी विपक्ष की बैठक को स्थगित किया गया है। बताया जा रहा है कि बैठक के लिए जल्द ही नए तारीखों का ऐलान किया जाएगा।
रिपोर्ट
नीतीश कुमार ने की थी बैठक स्थगित करने की अपील
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार विधानसभा का मानसून सत्र 10 से 24 जुलाई तक प्रस्तावित है।
विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में जुटे JDU प्रमुख नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बैठक स्थगित करने की अपील की क्योंकि वह और तेजस्वी यादव विधानसभा सत्र में व्यस्त रहेंगे।
यह भी माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक घटनाक्रम को चलते इस बैठक को टाला गया है।
बैठक
13-14 जुलाई को बेंगलुरू में प्रस्तावित थी बैठक
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी पार्टियों की दूसरी अहम बैठक 13-14 जुलाई को बेंगलुरू में होनी थी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार ने इस बैठक का ऐलान किया था।
इससे पहले पटना में हुई बैठक के बाद अगली बैठक शिमला में प्रस्तावित थी, लेकिन फिर पवार ने बेंगलुरू में बैठक होने की जानकारी दी थी।
उन्होंने कहा था कि विपक्षी पार्टियों की दूसरी बैठक में लोकसभा चुनाव की आगे की रणनीति पर विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है।
बैठक
विपक्षी पार्टियों के बीच में एकजुट होकर चुनाव लड़ने पर बनी सहमति
23 जून को पटना में हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार को सत्ता से हटाने की रणनीति पर चर्चा हुई थी। पिछली बैठक में सभी नेताओं के बीच एकजुट होकर लोकसभा चुनाव लड़ने पर सहमति बनी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि सभी पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है और दूसरे दौर की बैठक भी जल्द होगी।
कौन-कौन साथ
भाजपा के खिलाफ 15 विपक्षी पार्टियां एकजुट
पटना में हुई पहली बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), समाजवादी पार्टी (SP), जनता दल यूनाइडेट (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), आम आदमी पार्टी (AAP) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता शामिल हुए थे।
इसके अलावा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (CPM), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेताओं ने भी बैठक में हिस्सा लिया था।
दूसरी बैठक
क्यों अहम है विपक्षी पार्टियों की दूसरी बैठक?
विपक्षी पार्टियों की दूसरी बैठक कई मायनों में अहम है। इस बैठक में संयुक्त मोर्चे के संयोजक और लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर सहमति बननी है।
हालांकि, विपक्षी पार्टियों की दूसरी बैठक में AAP के शामिल होने की संभावना कम है क्योंकि कांग्रेस ने दिल्ली पर केंद्र के अध्यादेश मामले में उसे समर्थन नहीं दिया है।
AAP ने चेतावनी दी थी कि जब तक कांग्रेस अध्यादेश का विरोध नहीं करेगी, तब तक कोई गठबंधन नहीं होगा।
स्थिति
अभी लोकसभा में क्या है विपक्ष की स्थिति?
वर्तमान में लोकसभा की 543 सीटों में से सभी विपक्षी पार्टियों के पास 200 से भी कम सीटें हैं। उनके नेताओं को उम्मीद है कि वो मिलकर भाजपा को आगामी चुनाव में 200 सीटों तक सीमित कर सकते हैं। अभी लोकसभा में भाजपा के पास सीटों की संख्या 300 से अधिक है।
भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस ने 2019 चुनाव में 52 सीटें जीती थीं। 2014 में कांग्रेस ने केवल 44 सीटें जीती थीं, जो उसका सबसे खराब प्रदर्शन था।