देश को ऐसे नेतृत्व की जरूरत जो प्रधानमंत्री से निडर होकर बहस करे- मुरली मनोहर जोशी
क्या है खबर?
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य मुरली मनोहर जोशी ने मंगलवार को कहा कि भारत को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अपने विचार निडर होकर रख सकें, बिना ये चिंता किए कि इससे प्रधानमंत्री मोदी खुश होंगे या नाराज।
जोशी ने इस दौरान ये भी कहा कि सभी पार्टियों में अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श की परंपरा टूटी है और इसे फिर से जिंदा करने की जरूरत है।
जानकारी
दिवंगत कांग्रेस नेता जयपाल रेड्डी की याद में जोशी का संबोधन
कभी भाजपा के शीर्ष नेताओं में शामिल रहे मुरली मनोहर जोशी ने ये बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिवंगत नेता जयपाल रेड्डी की याद में आयोजित सभा में कहीं। रेड्डी का बीते 28 जुलाई को हैदराबाद में निधन हुआ था।
भाषण
"प्रधानमंत्री खुश होंगे या नाराज इसकी चिंता न करें"
सभा को संबोधित करते हुए जोशी ने कहा कि देश को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो प्रधानमंत्री मोदी से निडर होकर बहस कर सके।
उन्होंने कहा, "मैं ऐसा समझता हूं कि आजकल ऐसे नेतृत्व की बहुत आवश्यकता है जो सिद्धांतों के साथ, बेबाकी के साथ और बिना कुछ इस बात की चिंता किए हुए प्रधानमंत्री नाराज होंगे या खुश होंगे, अपनी बात साफ-साफ कह सके और उनसे बहस कर सके।"
चिंता
जोशी ने खत्म होती विचार-विमर्श की परंपरा पर चिंता व्यक्त की
जोशी ने पार्टियों में खत्म होती विचार-विमर्श की परंपरा पर भी चिंता व्यक्त की और इसे फिर से जिंदा करने को जरूरी बताया।
उन्होंने कहा, "दलगत राजनीति से परे हटकर देशहित से जुड़े अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श कर एक राय बनाने की कोशिशें थम गयी हैं... कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो देश और कुछ मामलों में विश्व के लिये महत्वपूर्ण हैं। इन पर विचार विमर्श होना जनतंत्र और देश के लिये महत्वपूर्ण है। उस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।"
उदाहरण
जोशी ने बताया कैसे पहले आम सहमति से काम करते थे नेता
जोशी ने पुराने दिनों में विचार-विमर्श के जरिए विभिन्न विचारधाराओं और पार्टियों के बीच बनने वाली आम सहमति के उदाहरण भी दिए।
ऐसा ही एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, "कुछ मामलों में माकपा (CPI-M) के नेता सीताराम येचुरी अपने नाम के अनुरूप 'सीताराम का ध्यान रखकर हमारा (भाजपा) साथ देते थे और कभी-कभी हम भी उनका (वामपंथी विचारधारा) साथ देते थे।"
येचुरी खुद इस सभा में मौजूद थे और उन्होंने भी रेड्डी को याद करते हुए भाषण दिया।
राजनीति
भाजपा में किनारे पर हैं जोशी
बता दें कि जोशी 1991-93 में भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं।
एक समय उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ भाजपा के शीर्ष नेताओं में माना जाता था।
लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह के उभरने के बाद वह किनारे होते चले गए। उन्हें वाजपेयी और आडवाणी के साथ मार्गदर्शन में डाल दिया गया।
2014 में कानपुर से सांसद रहे जोशी को इस बार उम्र और प्रदर्शन के कारण टिकट नहीं दिया गया था।