HRD मंत्री बोले- यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में राजनीति बर्दाश्त नहीं करेगी मोदी सरकार
क्या है खबर?
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर की यूनिवर्सिटी में हो रहे प्रदर्शनों के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि केंद्र सरकार शैक्षणिक संस्थानों को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने देगी।
उन्होंने कहा कि हर किसी को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने की छूट है, लेकिन कॉलेज और यूनिवर्सिटी को इससे दूर रहना चाहिए क्योंकि यहां छात्र पढ़ने आते हैं।
पोखरियाल ने कहा कि मोदी सरकार इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।
निशाना
पोखरियाल का विपक्षी पार्टियों पर हमला
कोलकाता में प्रदेश भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ सम्मेलन को संबोधित करते हुए पोखरियाल ने ये बातें कहीं। इस दौरान उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर नागरिकता कानून को लेकर अफवाहें फैलाने का आरोप भी लगाया।
पोखरियाल ने कहा कि धर्म के आधार पर देश को बांटने वाली कांग्रेस नागरिकता कानून पर अफवाहें फैला रही हैं। वहीं ममता बनर्जी को लेकर उन्होंने कहा कि वह खुद पहले नागरिकता कानून की मांग करती है, लेकिन अब इसका विरोध कर रही हैं।
विरोध
नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बने शिक्षण संस्थान
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली यूनिवर्सिटी, जाधवपुर यूनिवर्सिटी, प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी के साथ-साथ IIT और IIM समेत कई यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के छात्र नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
जामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पुलिस ने कैंपस में घुसकर छात्रों की पिटाई की थी। दिल्ली पुलिस ने बिना अनुमति जामिया यूनिवर्सिटी में घुसकर छात्रों पर बर्बरता की थी।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था।
इतिहास
खुद छात्र आंदोलन से चमके थे नरेंद्र मोदी
एक तरफ मोदी सरकार के मानव संसाधन मंत्री छात्रों की राजनीति को बर्दाश्त नहीं करने की बात कह रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी खुद गुजरात के छात्र आंदोलन से चमके थे।
दरअसल, दिसंबर 1973 में मोरबी में एक कॉलेज ने हॉस्टल फूड फीस बढ़ा दी थी। छात्रों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया।
महंगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त उस समय हर कॉलेज के छात्रों ने इसमें भाग लिया। इस आंदोलन का नवनिर्माण आंदोलन नाम दिया गया था।
छात्र आंदोलन
आंदोलन के दौरान मोदी को मिली थी अहम जिम्मेदारियां
नरेंद्र मोदी की उम्र उस समय 24 साल थी और वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक बन चुके थे।
भाजपा से संबंधित अखिल भारतीय विकास परिषद (ABVP) जब नवनिर्माण आंदोलन से जुड़ा तो नरेंद्र मोदी को भी अहम जिम्मेदारियां दी गईं।
मोदी पर धरना प्रदर्शन करवाने, मीडिया प्रबंधन और बड़े नेताओं के आगमन पर उन्हें छात्रों से मिलाने की जिम्मेदारी थी।
उन्हें इस आंदोलन के समन्वय के लिए बनाई गई लोक संघर्ष समिति का महासचिव बनाया गया था।
जानकारी
सरकार को छात्र राजनीति से परहेज क्यों?
नवनिर्माण आंदोलन के जरिए नरेंद्र मोदी का जनआंदोलनों से पहला वास्ता पड़ा। वहीं संघर्ष समिति का महासचिव नरेंद्र मोदी के राजनैतिक जीवन का पहला पद था। यह विडंबना है कि अब उनकी सरकार छात्र राजनीति से बचने की बात कह रही है।