जम्मू-कश्मीर: सांसद आगा रुहुल्लाह मेहदी को आरक्षण नीति के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर किया नजरबंद
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर की सत्ताधारी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के सांसद आगा रुहुल्लाह मेहदी को रविवार को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। यह कदम जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति के खिलाफ छात्र प्रदर्शनों में शामिल होने से रोकने के लिए राजनीतिक नेताओं की हिरासत के बाद उठाया गया। ये प्रदर्शन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की सरकार के खिलाफ थे और इनमें मौजूदा आरक्षण नीति को तर्कसंगत बनाने की मांग की गई थी।
कदम
सरकार ने विरोध प्रदर्शन के खिलाफ क्या उठाए कदम?
श्रीनगर सांसद मेहदी ने बताया कि पुलिस ने उनके बडगाम स्थित आवास को घेर लिया है और उन्हें बाहर निकलने से रोक दिया है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन से पहले कई छात्र कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था। उनके कार्यालय ने एक्स पर नजरबंदी की पुष्टि करते हुए लिखा, 'पुलिस ने सांसद रुहुल्लाह मेहदी को आधिकारिक तौर पर सूचित किया है कि उन्हें नजरबंद कर दिया गया है और उन्हें घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है।'
अन्य
PDP नेता और विधायक को भी किया गया नजरबंद
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने भी श्रीनगर में नजरबंद होने की घोषणा की है। उन्होंने एक्स पर सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई की आलोचना करते हुए लिखा, 'सुरक्षा एजेंसियों की असुरक्षा और संशय की कोई सीमा नहीं है।' PDP विधायक वहीदउर रहमान पारा को भी नजरबंद किया गया है, क्योंकि उन्होंने भी मेहदी के आरक्षण विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की योजना बनाई थी।
नीति
क्या है जम्मू-कश्मीर की आरक्षण नीति?
जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय शासन के दौरान लागू वर्तमान आरक्षण नीति के तहत सरकारी भर्तियों में से केवल 40 प्रतिशत सीटें सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जबकि केंद्र शासित प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी सामान्य वर्ग की है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर मंत्रिमंडल ने एक नई आरक्षण नीति को अपनाया है। इस प्रस्तावित नीति के तहत अब 50 प्रतिशत पद योग्यता के आधार पर या सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होंगे।
मंजूरी
नई नीति को उपराज्यपाल से मंजूरी मिलने का है इंतजार
नई आरक्षण नीति को उपराज्यपाल की मंजूरी का इंतजार है, क्योंकि मंत्रिमंडल के फैसले के लिए उनकी सहमति आवश्यक है। मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने 3 दिसंबर को कहा कि फाइल मंजूरी के लिए भेज दी गई है। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करने हेतु आरक्षण नीति को तर्कसंगत बनाया है। 2019 में अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद से आरक्षण में बड़े बदलाव हुए हैं।