NDA के खिलाफ राजनीतिक मोर्चेबंदी की कोशिश में अकाली दल, क्षेत्रीय दलों का जुटा रहा समर्थन
क्या है खबर?
केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के खिलाफ संयुक्त राजनीतिक मोर्चेबंदी के लिए शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने क्षेत्रीय दलों से समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है।
शनिवार को पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी से कोलकाता में मुलाकात की थी।
बैठक में डेरेक ओ'ब्रायन समेत पार्टी के कई अन्य नेता और सांसद मौजूद थे।
कोशिश
भारत बंद से पहले राजनीतिक घेराबंदी पुख्ता करना चाहती है SAD
कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। इससे पहले SAD केंद्र सरकार के खिलाफ राजनीतिक घेराबंदी पुख्ता करना चाहती है।
बैठक के बाद TMC सांसद सुदीप बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी किसानों के भारत बंद के आह्वान का 'नैतिक समर्थन' करती है।
याद दिला दें कि लंबे समय तक भाजपा की सहयोगी रही SAD ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर NDA का साथ छोड़ दिया था।
बैठक
आज पवार और ठाकरे से मिलेंगे चंदूमाजरा
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, चंदूमाजरा रविवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात करेंगे।
इसके बाद वो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ भी बैठक करेंगे। इसमें किसान प्रदर्शन और भारत बंद को लेकर इन पार्टियों की आगामी रणनीति पर चर्चा होगी।
ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि ये सभी दल मिलकर मौजूदा हालातों पर एक संयुक्त बयान जारी कर सकते हैं।
बयान
"केंद्र के तानाशाही रवैये के खिलाफ साथ आने की जरूरत"
चंदूमाजरा ने कहा, "सभी क्षेत्रीय दल यह महसूस कर रहे हैं कि हमें NDA सरकार के इस तानाशाही रवैये के खिलाफ साथ आने की जरूरत है। संघीय ढांचे पर हो रहे हमले को रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी है। साथ ही इस समय कोई मजबूत विपक्ष नहीं है इसलिए क्षेत्रीय दलों को एक संयुक्त मोर्चे की जरूरत महसूस हुई है।"
बताया जा रहा है कि SAD का प्रतिनिधिमंडल बीजू जनता दल के साथ भी मुलाकात कर चुका है।
जानकारी
किसानों के समर्थन में सम्मान वापस कर चुके हैं प्रकाश सिंह बादल
क्षेत्रीय पार्टियों ने यह कदम किसानों के 8 दिसंबर के भारत बंद के आह्वान के बाद उठाया है। इससे पहले गुरुवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने किसानों के समर्थन में पद्म विभूषण वापस लौटाया था।
विरोध की वजह
क्या है कृषि कानूनों से जुड़ा पूरा मुद्दा?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं।
उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
वार्ता
9 दिसंबर को फिर बातचीत करेंगे सरकार और किसान
तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन पिछले महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार कानूनों में संशोधन की पेशकश कर चुकी है, लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि जब तक ये कानून वापस नहीं लिए जाते, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
इसे लेकर अब तक सरकार और किसानों के बीच पांच दौर की बात हो चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है।
अब 9 दिसंबर को दोनों पक्ष एक बार फिर बैठक करेंगे।