कांग्रेस नेता अजय माकन बोले, AAP के साथ गठबंधन होता तो दिल्ली की सभी सीटें जीतते
दिल्ली कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय माकन ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अगर आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच गठबंधन होता तो वो दिल्ली की सातों सीटों पर बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब रहते। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए अकेले सातों सीटें जीतना मुश्किल है। माकन नई दिल्ली लोकसभा सीट से चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला भाजपा की मीनाक्षी लेखा और AAP के बृजेश गोयल से है।
गठबंधन पर कांंग्रेस में थे दो मत
बता दें कि कांग्रेस और AAP के बीच दिल्ली में गठबंधन को लेकर महीनों माथापच्ची चली थी। जहां AAP संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गठबंधन के लिए आतुर थे, वहीं कांग्रेस में मुद्दे को लेकर दो धड़े थे। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित के नेतृत्व वाला धड़ा गठबंधन के विरोध में था, वहीं दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको और माकन ने गठबंधन का खुलकर समर्थन किया था। हालांकि अंत में गठबंधन नहीं हुआ।
'गठबंधन होता तो 2-3 लाख के अंतर से जीतते सातों सीटें'
अब माकन ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' को दिए इंटरव्यू में मुद्दे पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, "अगर गठबंधन होता तो हम दिल्ली की सभी सातों सीटों पर 2-3 लाख के अंतर से जीत दर्ज करते। अब हम सातों सीटें नहीं जीत पाएंगे और जीत का अंतर कम होगा।" हालांकि उन्होंने कहा कि जब 2004 लोकसभा चुनाव में वह पहली बार भाजपा के दिग्गज नेता जगमोहन के खिलाफ मैदान में उतरे थे तो किसी ने नहीं सोचा था कि वह जीतेंगे।
दो बार नई दिल्ली से जीत दर्ज कर चुके हैं माकन
बता दें कि माकन ने 2004 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ते हुए नई दिल्ली सीट से 3 बार के सांसद जगमोहन को टक्कर दी थी। सबकी उम्मीदों के विपरीत उन्होंने जगमोहन को 12,000 से अधिक वोटों से हराते हुए जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2009 में उन्होंने भाजपा के विजय गोयल को करीब 2 लाख वोटों से हराया। हालांकि 2014 चुनाव में उनकी जीत के सफर पर विराम लगा और मीनाक्षी लेखी ने उन्हें हरा दिया।
माकन ने कहा, कांग्रेस के नेता सबसे ज्यादा अनुभवी
इंटरव्यू में भाजपा विरोधी वोटों के बंटने पर माकन ने कहा कि ऐसा नहीं होगा और लोग कांग्रेस को वोट देंगे। उन्होंने कहा कि हमारे उम्मीदवारों के पास विशाल प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव है और कई का ट्रैक रिकॉर्ड बेदाग है। नई दिल्ली से लेखी और गोयल के खिलाफ उनका पलड़ा भारी होने के लिए भी उन्होंने अनुभव को आधार बताया। उन्होंने सीलिंग अभियान रोकने को अपना सबसे अहम मुद्दा बताया। उन्होंने झुग्गी-झोपड़ियों को सुधारने कोे भी अपना लक्ष्य बताया।
कुछ AAP उम्मीदवारों ने छोड़ी है छाप- माकन
पहली बार चुनाव लड़ रहे AAP उम्मीदवारों के पास अनुभव की कमी पर माकन ने कहा कि लोगों को AAP उम्मीदवारों पर ज्यादा भरोसा नहीं है, लेकिन उनमें से कुछ ने अपनी छाप छोड़ी है। उन्होंने भाजपा को अपनी मुख्य प्रतिद्वंदी बताया।
पहले AAP के साथ गठबंधन के विरोधी थे माकन
दिल्ली कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शामिल माकन दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के शून्य पर सिमटने के बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। 4 साल तक पद पर रहने के बाद उन्होंने जनवरी 2019 में पद से इस्तीफा दे दिया। AAP के साथ गठबंधन का कट्टर विरोध उनके इस्तीफे का एक अहम कारण माना गया। हालांकि बाद में वह गठबंधन के समर्थन में हो गए।