केरल के बाद दिल्ली में बढ़ रहे कंठमाला रोग के मामले, जानिए इसके लक्षण और इलाज
केरल के बाद दिल्ली और दिल्ली-NCR में कंठमाला रोग के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इससे ज्यादात्तर 5 से 10 वर्ष की आयु के बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में महाराष्ट्र, हैदराबाद और तेलंगाना में भी इसके मामले सामने आए हैं। दुर्लभ मामलों में यह मेनिनजाइटिस का कारण बन सकता है, जो जीवन के लिए खतरा हो सकता है। आइए जानते हैं कि कंठमाला रोग क्या है और इसका इलाज कैसे हो सकता है।
कंठमाला रोग क्या है?
कंठमाला, जिसे गलसुआ भी कहते हैं, वह पैरामाइक्सोवायरस के कारण होती है। यह संक्रमित व्यक्ति की लार, छींक और सांस के जरिए फैलता है। गर्मियों में कंठमाला के मामलों में बढ़ोतरी एक चिंताजनक बात है। इससे कान के नीचे और सामने वाले पैरोटिड ग्रंथियों के साथ लार ग्रंथियों में सूजन हो जाती है। साथ ही फ्लू जैसे लक्षण सामने आते हैं। हालांकि, अब इसे MMR वैक्सीन द्वारा बढ़ने से रोका जा सकता है।
कंठमाला रोग के लक्षण
कंठमाला रोग होने पर पैरोटिड ग्रंथियों में सूजन, चेहरे, जबड़े के साथ कान के आसपास दर्द और संवेदनशीलता जैसे लक्षण सामने आते हैं। बुखार, कान में दर्द, बदन दर्द, सिरदर्द, कमजोरी और भूख न लगाना भी इसके लक्षण हैं। यह रोग कुछ ही दिनों या हफ्तों में ठीक हो जाता है, लेकिन इसके लिए सही इलाज और वैक्सीन लगवाना जरूरी है। अगर आपको खुद में कंठमाला रोग के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
कंठमाला रोग के जोखिम को कम करने के लिए क्या करें?
कंठमाला रोग के जोखिम को कम करने के लिए आप नीचे लिखी कुछ चीजें कर सकते हैं। 1) इसे रोकने का सबसे प्रभावी तरीका छींकने या खांसने के बाद हाथ धोना जरूरी है। 2) मुंह के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। 3) किसी तरह का संक्रमण होने के बाद टूथब्रश को बदल लें। 4) भोजन, पानी पीने का गिलास या पानी की बोतल अन्य लोगों से साझा करने से बचें और हमेशा साफ चीजों का इस्तेमाल करें।
कंठमाला रोग का इलाज क्या है?
दर्दनिवारक दवाओं, MMR वैक्सीन, उचित आराम और खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेट करके इस रोग का इलाज हो सकता है। इलाज के लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवाएं, एंटासिड और एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त सूजन से प्रभावित जगह पर गर्म और ठंडी सिकाई भी करना फायदेमंद है। साथ ही खूब सारे तरल पदार्थों का सेवन करें और घर का बना नरम आहार लें।