मत्स्यासन: अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरुरी है यह योगासन, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
अब इस बात से लगभग हर कोई वाकिफ हो गया होगा कि नियमित तौर पर किया जाने वाला योगाभ्यास स्वस्थ रखने में अहम भूमिका अदा कर सकता है।
कुछ योगासन ऐसे हैं जिनका नाम आपने शायद ही कभी सुना हो। ऐसा ही एक योग मत्स्यासन है जिसका रोजाना अभ्यास कई रोगों को दूर रखने का काम कर सकता है।
इसलिए आज हम आपको इस योगासन से जुड़ी कुछ खास महत्वपूर्ण जानकारियां देने जा रहे हैं। चलिए फिर जानते हैं।
अभ्यास
मत्स्यासन के अभ्यास का तरीका
इस योगासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले योग मैट बिछाकर पद्मासन की अवस्था में एकदम सीधे बैठ जाएं, फिर अपनी पीठ की दिशा में झुके और अपने सिर को जमीन से सटाने की कोशिश करें।
अब अपने पैरों की उंगलियों को पकड़े और जितना संभव हो सके उतनी देर इसी मुद्रा में रूकने की कोशिश करें या फिर कुछ मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
सावधानियां
मत्स्यासन के अभ्यास से जुड़ी सावधानियां
1) अगर आपकी गर्दन या फिर रीढ़ की हड्डी से संबंधी कोई समस्या है तो आपको इस योगासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए।
2) 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और गर्भवती महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
3) अगर आपको उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, अस्थमा या पेट से जुड़ी कोई समस्या है तो मत्स्यासन का अभ्यास न करें, क्योंकि ऐसा करने से आपकी समस्या बढ़ सकती है।
फायदे
मत्स्यासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे
मत्स्यासन का नियमित तौर पर अभ्यास कई प्रकार से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकता है।
उदाहरण के तौर पर इसका नियमित अभ्यास शरीर को लचीला बनाने में काफी मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त रीढ़ की हड्डी समेत पाचन तंत्र आदि पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बात अगर इसके अभ्यास से मिलने वाले मानसिक फायदों की करें तो यह तनाव से आजादी दिलाने में काफी मददगार सिद्ध हो सकता है।
टिप्स
मत्स्यासन का अभ्यास करने से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण टिप्स
1) मत्स्यासन दिखने में जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। इसे करने के दौरान शुरुआत में कुछ असुविधा महसूस हो सकती हैं। इसलिए इस योगासन का अभ्यास योग विशेषज्ञ की निगरानी में करें।
2) इस योगासन की शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए दीवार का सहारा लें।
3) इस मुद्रा से सामान्य अवस्था में धीरे-धीरे आएं ताकि गले में झटका न लगे और इसका अभ्यास सुबह खली पेट करें।