कौन हैं न्यायमूर्ति प्रसन्ना भालचंद्र वरले, जो सुप्रीम कोर्ट के नए न्यायाधीश बने?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूर करते हुए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति प्रसन्ना भालचंद्र वरले की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी।
आज गुरुवार को न्यायमूर्ति वरले ने शपथ भी ले ली। उन्होंने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की जगह ली है।
इस नियुक्ति के बाद पहली बार ऐसा है जब सुप्रीम कोर्ट में 3 दलित जज हैं।
आइए न्यायमूर्ति वरले के बारे में जानते हैं।
नियुक्ति
कैसे हुई न्यायमूर्ति पीबी वरले की नियुक्ति?
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लिखा, 'भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीबी वरले को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है।'
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए न्यायमूर्ति पीबी विरले की नियुक्ति की है।
परिचय
कौन हैं न्यायमूर्ति प्रसन्ना भालचंद्र वरले?
न्यायमूर्ति वरले का जन्म 23 जून, 1962 को कर्नाटक के निपानी में हुआ था। उन्होंने डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय से कला और कानून में स्नातक किया।
उन्होंने 1985 में एक वकील के रूप में नामांकन किया और अपने शुरुआती वर्षों में वकील एसएन लोया के अधीन वकालत की।
न्यायमूर्ति वरले ने जिला और सत्र न्यायालय में सिविल, आपराधिक, श्रम, प्रशासनिक और उच्च संवैधानिक समेत विभिन्न कानूनी क्षेत्रों में 23 साल तक व्यापक अभ्यास किया।
न्याय करियर
बॉम्बे हाई कोर्ट में 14 वर्षों का रहा कार्यकाल
न्यायमूर्ति वरले को 18 जुलाई, 2008 में बॉम्बे हाई कोर्ट में अस्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और 3 साल बाद वे स्थायी न्यायाधीश बन गए। यहां वे 14 वर्षों तक कार्यरत रहे।
इससे पहले 1990 से 1992 तक वह औरंगाबाद के आंबेडकर लॉ कॉलेज में लेक्चरर रहे। उन्होंने औरंगाबाद में बॉम्बे हाई कोर्ट बेंच में एक सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक और भारत संघ के अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में काम किया।
मुख्य न्यायाधीश
2022 में कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने न्यायमूर्ति वरले
2022 में उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरण से पहले उन्होंने कहा था कि आज वो जहां हैं, बाबा साहेब के आशीर्वाद के कारण हैं।
न्यायमूर्ति वरले को जनहित में स्वत: संज्ञान से मामले शुरू करने के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।
उन्होंने कई बार महाराष्ट्र और कर्नाटक की सरकारों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराते हुए आचरण पर सवाल उठाए।