कौन हैं डेविड रीड सिमलीह, जिन्हें पद्मश्री से किया जाएगा सम्मानित?
क्या है खबर?
प्रोफेसर डेविड रीड सिमलीह (72) को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है।
मेघालय के प्रसिद्ध इतिहासकार सिमलीह को यह पुरस्कार साहित्य और शिक्षा में उनके विशिष्ट योगदान के लिए दिया जाएगा। उन्होंने पूर्वोत्तर भारत से जुड़ी कई किताबें और लेख लिखे हैं।
असम में 22 जनवरी, 1953 को जन्मे सिमलीह संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं।
आइए जानते हैं, डेविड आर सिमलीह के जीवन के बारे में।
सम्मान
निराश्रित बच्चों के स्कूलों से की थी पढ़ाई
एंग्लो-इंडियन डेविड सिमलीह का जन्म भले ही असम में हुआ था, लेकिन उनकी पढ़ाई पश्चिम बंगाल के कलिपोंग के डॉ ग्राहम के होम्स में हुई थी।
यह एंग्लो-इंडियन निराश्रित बच्चों के लिए स्कूल और अनाथालय था। यहां सिमलीह 1958-1970 तक रहे। इसके बाद आगे की पढ़ाई शिलांग के सेंट एडमंड कॉलेज से की।
सिमलीह ने यहां से 1974 में इतिहास में ऑनर्स के साथ स्नातक किया। इसके बाद नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी (NEHU) से इतिहास में मास्टर्स (1976) किया।
पढ़ाई
शिक्षक के रूप में शुरू किया करियर
पढ़ाई के बाद सिमलीह ने 1977 से 2 साल सेंट एडमंड कॉलेज में इतिहास पढ़ाया। इसके बाद 1979 में NEHU के इतिहास विभाग में शामिल हो गए और इतिहास के प्रोफेसर बने।
NEHU में नौकरी के दौरान उन्होंने डीन, प्रॉक्टर, इतिहास विभाग के अध्यक्ष, निदेशक, रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी संभाली और 2010 तक काम किया।
भारत के राष्ट्रपति ने सितंबर 2011 में सिमलीह को राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर का कुलपति नियुक्त किया, जहां उन्होंने अक्टूबर में कामकाज संभाला।
श्रेय
राजीव गांधी विश्वविद्यालय को संवारने में सिमलीह का श्रेय
सिमलीह को राजीव गांधी विश्वविद्यालय को संवारने का श्रेय दिया जाता है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने न केवल दीक्षांत समारोह आयोजित किया बल्कि आवश्यक वैधानिक बैठकें बुलाई।
उन्होंने प्रशासन की 11वीं और 12वीं योजना को लागू किया और परीक्षा और शैक्षणिक सुधार लागू किए। उस समय विश्वविद्यालय में अमेरिकी और यूरोपीय देशों के राजदूत बुलाए गए।
इस दौरान भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। 1980 में उन्होंने MPhil किया और 1985 में PhD की उपाधि प्राप्त की।
श्रेय
पूर्वोत्तर राज्य के इतिहास पर विशेषज्ञता रखने वाले संगठन से जुड़े
सिमलीह पूर्वोत्तर इतिहास में विशेषज्ञता रखने वाले पूर्वोत्तर भारत इतिहास संगठन के 2010-11 में अध्यक्ष थे।
सिमलीह भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सदस्य और भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। जून 2012 को उन्हें UPSC का अध्यक्ष बनाया गया, जहां 2018 तक रहे।
सिमलीह को खासी स्वतंत्रता सेनानी तिरोत सिंग की मृत्यु से संबंधित विवरण खोजने और कोलकाता में थॉमस जोन्स की कब्र पहचानने का श्रेय है, जो वेल्श मिशनरी थे और खासी हिल्स पहुंचने वाले पहले व्यक्ति थे।