#NewsBytesExplainer: कौन हैं दाऊदी बोहरा, जिनसे प्रधानमंत्री मोदी मिस्र यात्रा के दौरान मिलेंगे?
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को मिस्र की 2 दिवसीय यात्रा पर पहुंचेंगे। शनिवार को प्रधानमंत्री का मिस्र की राजधानी काहिरा के मध्य में स्थित लगभग 1,000 साल पुरानी अल-हकीम मस्जिद का दौरा प्रस्तावित है।
इस मस्जिद का पुनरूद्धार दाऊदी बोहरा समुदाय से जुड़े लोगों के सहयोग से हुआ है और इसे अब पर्यटन गतिविधियों के लिए खोला गया है। प्रधानमंत्री इस समुदाय के लोगों से भी मिलेंगे।
आइए दाऊदी बोहरा के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बोहरा
कौन है बोहरा समुदाय?
बोहरा समुदाय फातिमी इस्माइली तैयबी विचाराधारा का पालन करता है। इन्हें पैगंबर मोहम्मद का वंशज माना जाता है। पहले इमाम इस समुदाय के सर्वोच्च धार्मिक नेता हुआ करते थे, लेकिन 21वें इमाम तैय्यब अबुल कासिम की मौत के बाद इस परंपरा को खत्म कर दिया गया।
इसके बाद 132 से आध्यात्मिक गुरुओं की परंपरा शुरू की गई। इन गुरुओं को 'दाई-अल-मुतलक सैय्यदना' नाम दिया गया, जिसका अर्थ होता है सर्वोच्च सत्ता।
उनके आदेश को सर्वोपरि माना जाता है।
दाऊदी बोहरा
कैसे भारत पहुंचा समुदाय?
बोहरा समुदाय धर्म प्रचारकों के जरिए 11वीं शताब्दी में मिस्र से भारत के गुजरात आया। इनके नाम की उत्पत्ति का भी भारत से संबंध है। दरअसल, बोहरा गुजराती शब्द 'बहौराउ' का बिगड़ा हुआ रूप है, जिसका अर्थ होता है व्यापार।
जब भारत में इस समुदाय का विस्तार होने लगा तो 1539 में इसका मुख्यालय यमन से गुजरात के सिद्धपुर आ गया।
इस समुदाय लोग व्यापार से अधिक जुड़े हैं, जो पढ़े-लिखे और आर्थिक रूप से संपन्न है।
अलगाव
बोहरा से दाऊदी बोहरा कैसे बने?
बोहरा समुदाय के 30वें सैय्यदना की 1588 में मौत के बाद उनकी गद्दी को लेकर उनके वंशज दाऊद बिन कुतुब शाह और सुलेमान शाह के बीच विवाद हो गया, जिसके बाद समुदाय में दो धड़े बन गए।
दाऊदी के अनुयानियों को दाऊदी बोहरा कहा जाने लगा, वहीं सुलेमान के समर्थक सुलेमानी बोहरा कहलाए गए।
विभाजन के कुछ समय बाद सुलेमानी बोहरा अपना मुख्यालय वापस यमन ले गए, वहीं दाऊदी बोहरा समुदाय ने मुंबई को अपना मुख्यालय बना लिया।
छवि
दाऊदी बोहरा समुदाय की छवि कैसी है?
दाऊदी बोहरा समुदाय शिक्षित, मेहनती, समृद्ध और कारोबारी स्वभाव का माना जाता है। जीवनशैली के मामले में यह समुदाय आधुनिक ही है, लेकिन धर्म के मामले में उसके विचार काफी हद तक रूढ़िवादी हैं।
समुदाय अपने धर्मगुरू यानि सैय्यदना के प्रति पूरी तरह से समर्पित है और नियमों का उल्लंघन करने पर व्यक्ति को समुदाय से बहिष्कृत कर दिया जाता है।
समुदाय में छोटी बच्चियों के खतने की कुप्रथा भी प्रचलन में है, हालांकि इसके खिलाफ आवाज भी उठती है।
प्रधानमंत्री
समुदाय से मोदी को खास लगाव
प्रधानमंत्री बनने से पहले से ही प्रधानमंत्री मोदी का दाऊदी बोहरा समुदाय के साथ खास संबंध रहा है।
साल 2011 में बतौर मुख्यमंत्री वे इस समुदाय के धार्मिक प्रमुख सैयदना बुरहानुद्दीन के 100वें जन्मदिन के जश्न में शामिल हुए थे।
इसके बाद 2014 में धर्म प्रमुख के निधन के बाद मोदी उनके बेटे और उत्तराधिकारी सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए मुंबई भी गए थे।
परिवार
प्रधानमंत्री ने समुदाय को बताया था अपने परिवार का हिस्सा
2016 में मुंबई के मरोल में सैफी अकादमी के नए परिसर उद्धाटन के मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि दाऊदी बोहरा समुदाय उनके परिवार का हिस्सा है।
उन्होंने अपने संबोधन में दाऊदी बोहरा धार्मिक प्रमुखों की 4 पीढ़ियों के साथ अपने संबंधों को याद करते हुए समुदाय के व्यावसायिक कौशल और उनके द्वारा किए सामाजिक सुधारों की प्रशंसा भी की थी।
उनका दावा था कि इस समुदाय ने डांडी मार्च से लौटे महात्मा गांधी की मेजबानी भी की थी।
प्रशंसक
प्रधानमंत्री मोदी का समर्थक है समुदाय
ये खास बात है कि दाऊदी बोहरा समुदाय हमेशा प्रधानमंत्री का प्रशंसक रहा है। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जब भी विदेशों के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं तो इस समुदाय के लोग बड़ी संख्या में वहां मौजूद होते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर और ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित ओलंपिक पार्क एरेना में हुए कार्यक्रमों से इसकी पुष्टि होती है।
इस समुदाय के धार्मिक नेता अक्सर प्रधानमंत्री की तारीफ करते नजर आते हैं।
सांस्कृतिक
काहिरा में स्थित मस्जिद से समुदाय का क्या संबंध?
काहिरा में स्थित इस ऐतिहासिक और प्रमुख मस्जिद का नाम 16वें फातिमिद खलीफा अल-हकीम द्वि-अम्र अल्लाह के नाम पर रखा गया है। इस मस्जिद का निर्माण मूल रूप से निर्माण उनके पिता खलीफा अल-अजीज बिल्लाह ने 10वीं शताब्दी के अंत में कराया था।
दाऊदी बोहरा समुदाय के लिए अल-हकीम मस्जिद एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल है। इसका नवीनीकरण कार्य मिस्र में इस्लामी स्थलों पर धार्मिक पयर्टन को बढ़ावा देने की योजना से किया गया।
प्रधानमंत्री इसी मस्जिद को देखने जाएंगे।
यात्रा
1997 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मिस्र यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी का मिस्र दौरा 2 दिवसीय है। यह 1997 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मिस्र यात्रा होगी, जबकि पिछले 7 सालों में मिस्त्र के राष्ट्रपति 3 बार भारत की यात्रा पर आ चुके हैं।
24 जून को प्रधानमंत्री मोदी अल-हकीम मस्जिद के बाद हेलियोपोलिस युद्ध स्मारक जाएंगे और यहां पहले विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे।
इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने को लेकर चर्चा होगी।
आबादी
भारत समेत कई देशों में फैला हुआ है समुदाय
भारत में दाऊदी बोहरा समुदाय की आबादी लगभग 20 लाख है। इस समुदाय से जुड़े लोग मुख्य तौर पर गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कलकत्ता और चेन्नई आदि स्थानों पर प्रमुख रूप से रहते हैं।
दुनिया के अन्य देशों जैसे पाकिस्तान, अमेरिका, दुबई, अरब, यमन, इराक और मिस्र आदि में भी इनकी काफी आबादी फैली हुई है। इस समुदाय के समर्थन से प्रधानमंत्री मोदी को वैश्विक नेता के तौर पर अपनी छवि पेश करने में मदद मिलती है।