सरकार ने नहीं की शहीद के परिवार की मदद, तो चंदा माँगकर गाँववालों ने बनवाया घर
सीमा पर दुश्मनों से देश की रक्षा जवान करते हैं। कई बार ये जवान दुश्मनों का सामना करते हुए शहीद भी हो जाते हैं। जवान के शहीद होने के बाद उनके परिवार की स्थिति ख़राब हो जाती है। ऐसे में सरकार उन्हें मदद का भरोसा देती है, लेकिन शहीद के परिवार को मदद नहीं मिलती है। ऐसा ही एक परिवार जो सरकारी मदद न मिलने की वजह से झोपड़ी में रहता था, गाँववालों ने चंदा माँगकर उनका घर बनवाया है।
आतंकियों का सामना करते समय हुए थे शहीद
जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश के देपालपुर के पीर पीपलिया गाँव के लोगों ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसे जानकार हर कोई हैरान हो रहा है। दरअसल, पीर पीपलिया गाँव के रहने वाले हवलदार मोहन सिंह सुनेर त्रिपुरा में BSF जवान के रूप में तैनात थे। वहीं आतंकियों से लड़ते हुए वो शहीद हो गए। परिवार की आर्थिक स्थित अच्छी न होने की वजह से उनका परिवार 27 साल से गाँव में एक टूटे-फूटे घर में रहता था।
लोगों के हाथों पर सवार होकर किया गृहप्रवेश
सरकार ने भी शहीद के परिवार की तरफ़ कोई ध्यान नहीं दिया। जब सरकार शहीद के परिवार की मदद करने में नाकाम हुई, तो गाँववालों ने कुछ दिन पहले चंदा जुटाना शुरू किया। गाँववालों ने चंदा माँगकर 11 लाख रुपये जुटाए और शहीद के परिवार के लिए एक आलीशान घर बनवाया। गाँववालों ने शहीद की विधवा राजू बाई को ये घर रक्षा बंधन के दिन तोहफ़े में दिया, जिसमें राजू बाई ने लोगों के हाथ पर सवार होकर गृहप्रवेश किया।
पेंशन के पैसों से परिवार चलाना मुश्किल
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश की रक्षा करते समय शहीद हुए BSF जवान मोहन लाल का परिवार पेट भरने के लिए मज़दूरी करने को विवश है, क्योंकि पेंशन के रूप में जो 700 रुपये मिलते हैं, उससे परिवार चलाना मुश्किल है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ कारनामा
शहीद मोहन लाल के परिवार की यह हालत देखकर गाँव के कुछ नौजवानों ने एक अभियान शुरू किया और देखते ही देखते 11 लाख रुपये चंदा माँगकर इकट्ठा कर लिया और इकट्ठे पैसे से शहीद परिवार के लिए घर बनवाया गया। पिछले साल की तरह ही इस साल भी गाँववालों ने शहीद की पत्नी से राखी बँधवाया और तोहफ़े के रूप में नए घर की चाबी सौंप दी। गाँववालों का यह कारनामा सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
गाँववालों ने बनाई शहीद की प्रतिमा स्थापित करने की योजना
बता दें कि गाँववालों ने गाँव के मुख्य मार्ग पर शहीद की प्रतिमा स्थापित करने की भी योजना बनाई है। इसके अलावा जिस सरकारी स्कूल में शहीद ने पढ़ाई की थी, उसका नाम भी उनके नाम पर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।