उत्तर प्रदेश: 5 साल में 1,976 लोग दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित, ICMR में पंजीकृत हुए
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश में पिछले 5 साल में दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित 1,976 लोग सामने आए हैं, जो हजारों लोगों में सिर्फ इक्का-दुक्का लोगों को होती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) राष्ट्रीय रजिस्ट्री में पंजीकृत कराया गया है।
उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक मरीज महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में क्रमशः 1,387, 1,275 और 1,201 हैं। असम में 898, दिल्ली में 879 और आंध्र प्रदेश में 684 मरीज हैं।
बीमारी
कौन-कौन सी हुई बीमारी?
दुर्लभ बीमारियों में प्राथमिक प्रतिरक्षा विकार, लाइसोसोमल स्टोरेज विकार (जैसे गौचर रोग, म्यूकोपॉलीसेकेराइडोसिस, पोम्पे रोग, फैब्री रोग), चयापचय की छोटी अणु जन्मजात त्रुटियां (जैसे मेपल सिरप मूत्र रोग, कार्बनिक अम्लता), सिस्टिक फाइब्रोसिस, अस्थिजनन अपूर्णता, मांसपेशियों की डिस्ट्रोफी और स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी शामिल हैं।
पिछले दिनों नोएडा में एक नवजात में इचिथोसिस-स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस (NISCH) सिंड्रोम पाया गया था, जो भारत में पहला मामला था।
इसके मरीज अधिकतर अफ्रीका के मोरक्को में मिलते हैं।
जांच
उपचार के विकल्प हैं सीमित
रिपोर्ट के मुताबिक, चिकित्सा प्रौद्योगिकी में काफी प्रगति के बावजूद भी पैथोफिजियोलॉजिकल तंत्र की समझ में सुधार हुआ है, लेकिन उपचार के विकल्प सीमित हैं।
दुर्लभ बीमारियों के उपचार और दवाएं भी काफी महंगी हैं, जो सभी के लिए उपलब्ध नहीं। चिकित्सक कहते हैं कि उपचार भी हमेशा सफल नहीं होते।
बता दें, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) दुर्लभ बीमारियों को आजीवन रहने वाली बीमारी के रूप में परिभाषित करता है, जो प्रति 1,000 जनसंख्या पर 1 या उससे कम है।