उत्तर प्रदेश: आठवीं पास ने शेविंग ब्लेड से किया सीजेरियन ऑपरेशन, महिला और नवजात की मौत
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है।
यहां एक प्राइवेट अस्पताल में काम करने वाले 30 वर्षीय व्यक्ति ने शेविंग ब्लेड से महिला का सीजेरियन ऑपरेशन किया, जिसके बाद अधिक खून बहने से महिला की मौत हो गई।
मां की मौत के थोड़ी ही देर बाद नवजात शिशु ने भी दम तोड़ दिया।
पुलिस ने आरोपी व्यक्ति और उसे नौकरी देने वाले अस्पताल के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है।
घटना
आठवीं तक पढ़ा है ऑपरेशन करने वाला आरोपी
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी का नाम राजेंद्र शुक्ला है और उन्होंने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। वो जिले के सैनी गांव में मां शारदा अस्पताल में काम करते हैं।
सालभर पहले सुविधाओं से वंंचित इस अस्पताल के मालिक राजेश साहनी ने उन्हें नौकरी पर रखा था। बताया जा रहा है कि साहनी की यह अस्पताल रजिस्टर्ड नहीं है और यहां कोई भी प्रशिक्षित डॉक्टर काम नहीं कर रहा है।
जांच
अस्पताल में नहीं थी ऑपरेशन की पर्याप्त सुविधा
मृतक महिला के पति की शिकायत पर पुलिस ने साहनी और शुक्ला दोनों को गैर-इरादतन हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।
सुल्तानपुर के पुलिस अधीक्षक अरविंद चतुर्वेदी ने मामले की जानकरी देते हुए बताया कि राजाराम नामक व्यक्ति ने शिकायत दी कि मेडिकल लापरवाही के चलते उनकी पत्नी पूनम और नवजात बच्चे की मौत हो गई है। जांच में पता चला कि अस्पताल में ऑपरेशन करने की पूरी व्यवस्था नहीं थी। वहां ब्लेड से ऑपरेशन किए जाते थे।
घटना
खून बहता देख आरोपी ने महिला को किया रेफर
पुलिस ने बताया कि बुधवार रात प्रसव पीड़ा होने के बाद पूनम को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया, जहां नर्स ने उसे अस्पताल में भर्ती कराने को कहा।
वहां से पूनम को इस अस्पताल में ले जा गया, जहां शेविंग ब्लेड से उसका ऑपरेशन किया गया।
ऑपरेशन के बाद खून बहता देख आरोपी शुक्ला ने राजाराम से पूनम को जिला अस्पताल ले जाने को कहा। गंभीर हालत में वहां से पूनम को लखनऊ ले जाया गया।
गिरफ्तारी
घटना के अगले दिन हुई गिरफ्तारी
जानकारी के अनुसार, लखनऊ पहुंचने पर अधिक खून बहने के कारण पूनम ने दम तोड़ दिया। घटना के अगले दिन पुलिस ने आरोपी और अनरजिस्टर्ड अस्पताल के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है।
साथ ही पुलिस ने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखकर बिना लाइसेंस चलने वाले ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
स्वास्थ्य सेवा
ग्रामीण इलाकों में अधिकतर डॉक्टरों के पास औपचारिक डिग्री नहीं- रिपोर्ट
बीते साल आई एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हर तीन में से दो 'डॉक्टरों' के पास दवाओं से जुड़ी कोई योग्यता नहीं है।
इसमें बताया गया था कि देश के लगभग 75 प्रतिशत गांवों में कम से कम एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता और एक गांव में औसतन तीन प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता हैं। इनमें से 86 प्रतिशत निजी 'डॉक्टर' हैं और 68 प्रतिशत के पास कोई औपचारिक मेडिकल प्रशिक्षण नहीं होता।