उत्तर प्रदेश: जबरन धर्मांतरण कानून के तहत हुई कार्रवाई, बरेली में दर्ज हुआ पहला मामला
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में कार्रवाई शुरू हो गई है। सरकार की ओर से गत दिनों पास किए गए 'विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020' को शरिवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद बरेली पुलिस ने इस सबंध में पहला मामला दर्ज कर लिया है।
इसमें एक मुस्लिम युवक पर एक युवती पर जबरन धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया गया है।
मंजूरी
उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने मंगलवार को पास किया था अध्यादेश
बता दें कि राज्य में होने वाली जबरन धर्मांतरण की घटनाओं को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश कैबिनेट में गत मंगलवार को 'विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020' को मंजूरी दे दी थी।
इसके बाद सरकार ने अध्यादेश को शनिवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था। जिसे शाम को राज्यापाल ने मंजूरी दे दी।
राज्यपाल की मंजूरी मिलने के साथ ही इस अध्यादेश ने राज्य में कानून का रूप ले लिया है।
कार्रवाई
बरेली के देवरनिया थाने में दर्ज हुआ पहला मामला
बरेली जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) अविनाश चंद्र ने बताया कि नए अध्यादेश के तहत पहला मामला देवरनिया थाने में दर्ज किया गया है।
उन्होंने बताया कि देवरनियां निवासी टीकाराम ने शरीफनगर गांव निवासी उवैस अहमद के खिलाफ अपनी बेटी से जान पहचान बढ़ाकर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाने की शिकायत दी थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी युवक पिछले काफी समय से उनकी बेटी और परिवार को परेशान कर रहा है।
प्रयास
आरोपी युवक कई बार कर चुका है धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास
ADG ने बताया कि आरोपी उवैस कॉलेज के दिनों से ही पीड़ित की बेटी को जानता है और उससे दोस्ती कर ली। उसके बाद से वह कई बार उनकी बेटी को धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर कर चुका है।
उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवार के कई बार मना करने के बाद भी आरोपी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इतना ही नहीं आरोपी ने धर्म परिवर्तन नहीं करने उसे जान से मारने की धमकी भी दी है।
जानकारी
आरोपी के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज किया मामला
ADG ने बताया कि शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2020 तथा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 504 (अपमान) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया है।आरोपी की तलाश जारी है।
सजा
तीन से 10 साल की सजा का है प्रावधान
बता दें विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2020 के तहत जबरन सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से 10 साल की जेल का प्रावधान है।
इसी तरह केवल धर्म परिवर्तन के लिए 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांच साल की जेल का प्रावधान है।
इसी तरह अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय की नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण के लिए 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ 3-10 साल की जेल होगी।
पेचीदगी
छह महीने में विधानसभा में पास कराना होगा अध्यादेश
बता दें कि राज्यापाल की मंजूरी मिलने के साथ ही इस अध्यादेश ने कानून का रूप ले लिया है। हालांकि, इस अध्यादेश को अभी तक विधानसभा में पारित नहीं कराया गया है।
ऐसे में सरकार को आगामी छह महीने में इस अध्यादेश को हर हालत में विधानसभा में पारित कराना होगा।
विधानसभा में इसके पारित नहीं होने पर यह कानून खत्म हो जाएगा। ऐसे में अब सरकार इसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित कराने का प्रयास करेगी।
विरोध
समाजवादी पार्टी जता चुकी है विरोध
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवार्दी प्रमुख अखिलेश यादव नए अध्यादेश को लेकर विरोध दर्ज करा चुके हैं।
अखिलेश यादव का कहना था कि भाजपा सरकार से अच्छा झूठ कोई और नहीं बोल सकता है। यदि कानून ही बना रहे हो तो ऐसा कानून बना दो जिससे किसानों की आय दोगुनी हो जाए।
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी सरकार की ओर से बनाए गए कानून के पक्ष में नहीं है और वह इसका विरोध करेगी।