जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधों के खिलाफ सुनवाई टली, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सुरक्षा एजेंसियों पर भरोसा रखिये
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर में जारी प्रतिबंधों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर सात याचिकाएं दायर थीं, जिनमें से चार में खामियां पाई गईं।
इस पर बेंच ने नाराजगी जताई। मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने याचिकाकर्ताओं को संशोधित याचिका दायर करने को कहा है। साथ कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कुछ और याचिकाएं भी आई हैं। फिलहाल इस मामले पर सुनवाई टल गई है।
आइये, पूरी खबर जानते हैं।
कोर्ट की सख्ती
बेंच ने जताई नाराजगी
एक याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा पर नाराजगी जताते हुए CJI ने कहा कि इन याचिकाओं को सुनने के लिए अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही बेंच को तोड़ना पड़ा है और इन्होंने सही याचिका दायर नहीं की।
CJI रंजन गोगोई ने याचिकाकर्ता से कहा, "मैंने आधे घंटे तक आपकी याचिका पढ़ी, लेकिन यह पता नहीं चला कि यह याचिका किस बारे में है। यह किस प्रकार की याचिका है। यह सुनवाई लायक नहीं है।"
जानकारी
मीडिया पर जारी पाबंदी पर बेंच ने कही यह बात
मीडिया पर जारी पाबंदियों के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार धीरे-धीरे प्रतिबंध हटा रही है और सुरक्षा एजेंसियों पर भरोसा करना चाहिए। यह याचिका कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने दायर की थी।
सुनवाई
स्थिति सामान्य होने के लिए थोड़ा वक्त देना चाहिए: बेंच
भसीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI गोगोई ने कहा, "मैंने आज अखबार में पढ़ा कि आज शाम तक लैंडलाइन और इंटरनेट सेवा बहाल कर दी जाएगी। हमें इसे थोड़ा वक्त देना चाहिए।"
सेंटर की तरफ से दलील देते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा, "कश्मीर टाइम्स जम्मू से रोजाना प्रकाशित हो रहा है। हम हर रोज प्रतिबंध हटा रहे हैं। श्रीनगर से दूसरे अखबार प्रकाशित हो रहे हैं। ये क्यों नहीं कर रहे।"
याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को किया था प्रतिबंध हटाने से इनकार
इससे पहले मंगलवार को तहसीन पूनावाला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में जारी प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया था।
याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन सदस्यीय बेंच ने कहा था कि रातों-रात कुछ नहीं हो सकता और स्थिति को सामान्य बनाने के लिए सरकार को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।
बेंच ने दो हफ्ते बाद मामले पर अगली सुनवाई करने की बात कही थी।
सरकार का पक्ष
हालात बिगड़ने से रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंध: सरकार
इस सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा कि सरकार ने आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में बिगड़े हालातों को ध्यान में रखकर ये प्रतिबंध लगाए थे।
उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में इन प्रतिबंधों में छूट दी जाएगी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकार रोजाना स्थिति की समीक्षा कर रही है।
साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि राज्य में एक भी जान नहीं गई है।
मौजूदा हालात
जम्मू से हटी पाबंदियां, कश्मीर में जारी
स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले जम्मू में लगी सारी पाबंदियां हटा दी गई थी, जबकि कश्मीर में अभी कुछ और समय तक ये पाबंदियां लगी रहेंगी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि कश्मीर से पाबंदियां हटाने का फैसला 15 अगस्त के बाद ही किया जाएगा।
बता दें कि 4 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में टीवी, इंटरनेट और फोन सेवाओं को बंद कर दिया गया था और राज्य में धारा 144 लागू की गई थी।
सुनवाई
रातों-रात कुछ नहीं हो सकता: SC
सुनवाई के दौरान सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया था कि जिलाधिकारी स्थिति पर नजरें बनाए हुए हैं। उनसे मिली जानकारी के आधार पर प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे।
इस पर बेंच ने कहा, "हम स्थिति सामान्य होने की उम्मीद करते हैं, लेकिन कुछ भी रातों-रात नहीं किया जा सकता। कोई नहीं जानता कि क्या हो रहा है। इसके लिए सरकार पर निर्भर रहना होगा। यह एक संवेदनशील मुद्दा है।"