प्रदर्शन के दौरान संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली पर क्या हैं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुए सरकारी संपत्ति के नुकसान की वसूली हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों से करने की घोषणा की थी। तब से अब तक लगभग 372 लोगों को वसूली का नोटिस भेजा जा चुका है। अपनी इस कार्रवाई के लिए सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया है। क्या है वो आदेश और वसूली पर सुप्रीम कोर्ट की क्या गाइडलाइंस हैं, आइए जानते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में बनाई थीं गाइडलाइंस
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में प्रदर्शनों के दौरान संपत्ति के नुकसान की भरपाई को लेकर एक आदेश जारी किया था। इसमें नुकसान की वसूली के लिए गाइडलाइंस बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संबंधित राज्यों के हाई कोर्ट नुकसान का आंकलन करेंगे।
दो तरीकों से कार्रवाई कर सकेगी हाई कोर्ट
हाई कोर्ट के पास ऐसा करने के दो रास्ते होंगे। पहला ये कि अगर राज्य सरकार हिंसा का संज्ञान लेने में विफल रहे तो हाई कोर्ट खुद इसका संज्ञान ले और सरकार से कार्रवाई करने को बोले। दूसरा रास्ता ये है कि राज्य सरकार खुद सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान का आंकलन करते हुए इसकी रिपोर्ट हाई कोर्ट में दाखिल करे। इसके बाद हाई कोर्ट किसी मौजूदा या पूर्व न्यायाधीश को 'क्लेम कमिश्नर' बनाकर आगे की कार्रवाई करेगा।
हाई कोर्ट के जरिए ही हो सकती है नुकसान की भरपाई
इन गाइडलाइंस से साफ है कि प्रदर्शनों के दौरान सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई हाई कोर्ट के जरिए ही होगी और कोई भी राज्य सरकार अपनी मर्जी से लोगों से वसूली नहीं कर सकेगी।
वसूली के नोटिसों में इस आदेश का जिक्र कर रही उत्तर प्रदेश सरकार
अब बात करते हैं इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की जिसका जिक्र उत्तर प्रदेश सरकार ने वसूली के नोटिसों में किया है। 2010 में मोहम्मद सुजाउददीन बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले के अपने आदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रही है और उत्तर प्रदेश पुलिस प्रमुख ने पुलिस अधिकारियों को ये गाइडलाइंस दे तो दी है, लेकिन इनके बारे में समझाया नहीं गया है।
हाई कोर्ट ने बताया था कैसे हो वसूली
ऐसे में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश देते हुए कहा था कि अगर कोई राजनीतिक पार्टी या कोई राजनेता प्रदर्शन बुलाता है और उस प्रदर्शन के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है तो पुलिस उस पार्टी या नेता के नाम पर रिपोर्ट दर्ज करे। कोर्ट ने कहा कि इसके बाद राज्य सरकार किसी योग्य अधिकारी को चुने जो संपत्ति को हुए नुकसान का आंकलन करके उसकी भरपाई के लिए कार्रवाई करेगा।
निर्दोष लोगों को भी भेजा गया वसूली का नोटिस
इलाहाबाद हाई कोर्ट के इसी आदेश के आधार पर योगी सरकार ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुए संपत्ति के नुकसान की वसूली के लिए लोगों को नोटिस भेजा है। हालांकि, इस दौरान कई ऐसे लोगों को नोटिस भेजे जाने का मामला भी सामने आया है जिनका प्रदर्शनों और इस दौरान हुई हिंसा से कोई संबंध नहीं है। विरोधी राज्य सरकार पर इन नोटिसों के जरिए मुस्लिमों को प्रताड़ित करने का आरोप भी लगा रहे हैं।
क्या सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन करती है कार्रवाई?
राज्य सरकार की ये कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट दोनों के आदेश के खिलाफ जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइंस में हाई कोर्ट के जरिए वसूली करने की बात कही थी, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट को इसके बारे में सूचित नहीं किया है। इन प्रदर्शनों का कोई स्पष्ट नेता भी नहीं था, ऐसे में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को आधार बनाकर पुलिस कैसे कार्रवाई कर रही है, ये भी अभी स्पष्ट नहीं है।