बच्चों की हिरासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस, हफ्ते में मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद बच्चों को हिरासत में लेने की याचिका पर सुनवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को हिरासत में रखने के मामले में एक सप्ताह में जम्मू-कश्मीर प्रशासन से जवाब मांगा है। लोगों को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट तक पंहुचने में हो रही परेशानियों की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के मुख्यन्यायधीश ने इस खबरों का खंडन किया है।
हाई कोर्ट की स्थिति को लेकर CJI को मिली अलग-अलग रिपोर्ट
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि कड़े सुरक्षा प्रतिबंधों के कारण लोग जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में नहीं जा पा रहे हैं। इस पर CJI रंजन गोगोई ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के मुख्यन्यायधीश से जवाब मांगा था, जिसमें उन्होंने इन रिपोर्ट को गलत बताया। हालांकि CJI गोगोई ने कहा कि उन्हें कुछ ऐसी रिपोर्ट्स भी मिली हैं, जिनमें हालात दूसरी तरह के बताए गए हैं।
सात दिन में मांगा जवाब
लगभग डेढ़ महीने पहले जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया गया था। इसके बाद कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया कि प्रशासन ने बच्चों को भी हिरासत में लिया है। इस पर सुनवाई करते हुए CJI ने माना कि इस याचिका का मुद्दा व्यक्तिगत मुद्दों से परे है। उन्होंने सात दिन में जम्मू-कश्मीर प्रशासन को इस संबंध में जवाब दाखिल करने को कहा है।
CJI ने कहा था- जरूरत पड़ी तो खुद जाउंगा श्रीनगर
बाल अधिकार कार्यकर्ता एनाक्षी गांगुली और राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग की पूर्व प्रमुख शांता सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर में बच्चों की हालत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा था कि वो जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट क्यों नहीं गए? याचिकाकर्ताओं ने बताया कि प्रतिबंधों के चलते हुए हाई कोर्ट में पहुंचना मुश्किल है। CJI ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वो खुद श्रीनगर जाएंगे।
लगभग 4,000 लोग हिरासत में
5 अगस्त से लेकर अभी तक कितने लोगों को हिरासत में रखा गया है। इसे लेकर सरकार ने कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि लगभग 4,000 लोग हिरासत में है। इनमें मुख्यधारा के राजनेता, पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। वहीं हिरासत में बंद लोगों में से लगभग 300 लोगों को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया है। इनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुला भी शामिल हैं।