जम्मू-कश्मीरः विदेश जा रहे शाह फैसल को रोका गया, श्रीनगर में किया गया नजरबंद- रिपोर्ट्स
क्या है खबर?
पूर्व IAS अधिकारी शाह फैसल को दिल्ली एयरपोर्ट पर रोककर कश्मीर वापस भेजा गया है।
मीडिया में आ रही रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिविल सर्विस छोड़कर राजनीति में उतरने वाले फैसल दिल्ली एयरपोर्ट से विदेश जा रहे थे, जहां उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
बताया जा रहा है कि उन्हें पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट के तहत श्रीनगर में नजरबंद किया गया है।
विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया था।
मामला
इस्तांबुल जा रहे थे फैसल
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, फैसल दिल्ली से इस्तांबुल जा रहे थे। सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें रोककर वापस कश्मीर भेजा है।
बता दें, फैसल ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध किया है।
मंगलवार को उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'अपने राजनीति अधिकार हासिल करने के लिए कश्मीर में एक अंहिसक जन आंदोलन की जरूरत है।'
हालात
दो पूर्व मुख्यमंत्री पहले से गिरफ्तार
कश्मीर में 4 अगस्त से जारी प्रतिबंधों के बीच फैसल को नजरबंद किया गया है।
राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री- उमर अब्दुला और महबूबा मुफ्ती को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
इनके अलावा राज्य के सैंकड़ों राजनीतिक कार्यकर्ताओं की भी गिरफ्तारी की गई थी।
केंद्र सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद स्थिति बिगड़ने की आशंका के बीच सरकार ने इलाके में प्रतिबंध लगाते हुए इंटरनेट, फोन सेवाओं समेत कई चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
विरोध
केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में है फैसल
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के अध्यक्ष फैसल ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'कश्मीर अभूतपूर्व प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। जीरो ब्रिज से लेकर एयरपोर्ट तक केवल कुछ वाहन दिख रहे हैं। दूसरे हिस्सों में पूरा प्रतिबंध लगाया गया है, केवल वही लोग घूम रहे हैं जिनके पास कर्फ्यू पास है। लोग अभी तक सदमे में हैं कि उनके साथ क्या हुआ है। यह पिछले 70 सालों में भारत देश का सबसे बड़ा बदला है।'
मौजूदा हालात
जम्मू से हटी पाबंदियां
स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले जम्मू में लगी सारी पाबंदियों को हटा दिया गया है, जबकि कश्मीर में अभी कुछ और समय तक ये पाबंदियां लगी रहेंगी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बुधवार को ये जानकारी दी।
बता दें कि इस बात की आशंकाएं और खुफिया रिपोर्ट्स हैं कि स्वतंत्रता दिवस के दिन कश्मीरियों को भड़काने का काम किया जा सकता है, इसलिए इन्हें हटाने पर फैसला 15 अगस्त के बाद ही लिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने किया दखल देने से इनकार
पहले जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त अर्धसैनिक बल भेजने और फिर ये पाबंदियां लगाने के लिए मोदी सरकार की आलोचना भी हुई।
कांग्रेस नेता और एक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला ने पाबंदियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे प्रशासनिक मामला बताते हुए इसमें दखल देने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा था कि वह रोजाना की प्रशासनिक गतिविधियों में दखल देने के खिलाफ है और ये भूमिका नहीं निभा सकता।