यौन उत्पीड़न आरोप: CJI को क्लीन चिट पर सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन, धारा 144 लागू
देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप का मामला सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति की उन्हें क्लीन चिट के बाद भी थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। आज महिला प्रदर्शनकारियों ने इस क्लीन चिट के विरोध में सुप्रीम कोर्ट के बाहर शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया, जिसके बाद इलाके में धारा 144 लगा दी गई और दर्जनों प्रदर्शनकारियों को जबरदस्ती पुलिस वैन में डालकर वहां से ले जाया गया। आइए आपको पूरा मामला बताते हैं।
महिला प्रदर्शनकारियों ने किया क्लीन चिट का विरोध
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने लगाया था आरोप
पिछले महीने अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने 22 जजों को 29 पेज का एक हलफनामा भेजा था, जिसमें उन्होंने CJI रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला ने इसमें विस्तार से बताया था कि कैसे अक्टूबर 2018 में CJI ने अपने घर वाले दफ्तर पर उसका उत्पीड़न किया था। देश की न्यायिक व्यवस्था के सबसे ऊंचे व्यक्ति पर इतने गंभीर आरोप लगने के बाद पूरे देश में सनसनी पैदा हो गई थी।
अप्रत्याशित सुनवाई पर उठे सवाल तो बनाई गई आंतरिक जांच समिति
इसके बाद CJI गोगोई ने मामले पर शनिवार के दिन अप्रत्याशित सुनवाई की और खुद पर लगे सारे आरोपों को बकवास बताया। लेकिन खुद के खिलाफ सुनवाई कर रही बेंच में उनके शामिल होने पर जब सवाल उठने लगे तो सुप्रीम कोर्ट ने एक तीन सदस्यीय "गैर-न्यायायिक" आंतरिक जांच कमिटी का गठन कर दिया। CJI के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ जज एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति में जस्टिस इंदिरा बनर्जी और इंदु मल्होत्रा भी शामिल थीं।
महिला का कार्यवाही में हिस्सा लेने से इनकार
आंतरिक समिति ने कुल चार दिन में अपनी जांच पूरी की, जिनमें से 3 दिन महिला शिकायतकर्ता से पूछताछ और उसके बयान को रिकॉर्ड करने में लगे। तीसरे दिन महिला ने यह कह कर कार्यवाही में भाग लेने से इनकार कर दिया कि उसे पूछताछ के दौरान अपने साथ वकील या किसी दोस्त को ले जाने की इजाजत नहीं दी जारी है और उसे समिति से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है।
सीलबंद लिफाफे में जा की गई जांच रिपोर्ट
समिति ने महिला शिकायतकर्ता के कार्यवाही में आने से इनकार करने के बाद भी अपनी जांच जारी रखी और CJI का बयान दर्ज किया। इसके बाद सोमवार को समिति ने CJI को क्लीन चिट देते हुए अपनी रिपोर्ट सौंप दी। समिति ने CJI के खिलाफ कोई सबूत न मिलने की बात कही। जांच रिपोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में जमा किया गया और समिति ने एक पुराने मामले का हवाला देते हुए इसे सार्वजनिक न करने की बात कही।
महिला ने कहा, सबसे बड़ा डर सच हो गया
क्लीन चिट पर प्रतिक्रिया देते हुए महिला शिकायतकर्ता ने कहा कि उसका सबसे बड़ा डर सच हो गया है। उसने कहा कि वह बुरी तरह से डरी हुई है क्योंकि तमाम सबूत देने के बावजूद भी उसे न्याय नहीं मिला।
जांच पर उठ रहे गंभीर सवाल
जांच समिति के काम करने के तरीके पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। खुद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने महिला को अपने साथ वकील न लेकर जाने देने के फैसले को गलत बताया था। रिपोर्ट की गोपनीयता पर भी कानून विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं। हद तो ये है कि महिला शिकायतकर्ता को उसके बयान की भी कॉपी नहीं दी जाएगी और उसे ये पता ही नहीं चलेगा कि किस आधार पर उसकी शिकायत को खारिज किया गया।
विरोध में सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन
जांच की यह प्रक्रिया कई वकीलों, कार्यकर्ताओं और सिविल सोसाइटी के सदस्यों को पसंद नहीं आई और वो अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट के बाहर जमा हो गए। कई महिला प्रदर्शनकारियों के हाथ में तख्तियां भी थी, जिन पर 'आप कितने भी ऊंचे हों, कानून आपके ऊपर है' जैसे कठोर संदेश लिखे हुए थे। अंत में इलाके में धारा 144 लगाकर पुलिस के जरिए उन्हें वहां से हटा दिया गया।