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सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश की पालना न होने पर उत्तर प्रदेश सरकार पर लगाया जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार पर लगाया जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश की पालना न होने पर उत्तर प्रदेश सरकार पर लगाया जुर्माना

Jun 25, 2025
03:34 pm

क्या है खबर?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत एक मामले में आरोपी को जमानत दिए जाने के बाद भी न छोड़ने पर उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगाई। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को तत्काल जमानत पर छोड़ने और उसे अंतरिम मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये देने का भी आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने आदेशों की अवहेलना के संबंध में गाजियाबाद के जिला न्यायाधीश को जांच भी सौंप दी।

प्रकरण

क्या है पूरा मामला?

रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी आफताब के खिलाफ अवैध धर्मांतरण के आरोप में 2024 में मुकदमा दर्ज किया गया था। उसके बाद से वह गाजियाबाद जेल में बंद था। आरोपी ने मामले में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने 29 अप्रैल को उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। हालांकि, जेल अधिकारियों ने आदेश के भी आफताब को जमानत नहीं दी और उसे 24 जून तक जेल में बंद रखा था।

याचिका

आफताब ने लगाई थी अवमानना याचिका

इस मामले में आफताब ने अवमानना याचिका दायर की थी, जिस पर बुधवार को जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सुनवाई की। इसमें कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए जेल महानिदेशक को कड़ी फटकार लगाई और पूछा कि वह अपने अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए क्या करने का प्रस्ताव रखते हैं? इस पर महानिदेशक ने कहा कि उन्हें इस संबंध में जानकारी है और इसके लिए जांच जांच शुरू कर दी है।

रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगी अनुपालना रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 27 जून तक आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट जमा काराने का आदेश देते हुए कहा कि जांच रिपोर्ट को देखने के बाद तय किया जाएगा कि मुआवजे की राशि किसी जिम्मेदार अधिकारी से वसूली जाए या नहीं। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आरोपी को 24 जून को रिहा करने से पता चलता है कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के आदेशों की अवहेलना की है। यह बेहद गंभीर मामला है।

सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने महानिदेशक से किए तीखे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने जेल महानिदेशक से कहा, "हम इस मामले में व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय करेंगे। अगर कोई अधिकारी इसमें शामिल है तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी। अगर अदालत के आदेश के बावजूद लोगों को सलाखों के पीछे रखा जाए तो हम क्या संदेश दे रहे हैं?" कोर्ट ने कहा, "अधिकारियों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त स्वतंत्रता के महत्व के बारे में संवेदनशील बनाया जाना चाहिए। यह एक अत्यंत मूल्यवान एवं बहुमूल्य अधिकार है।"

जानकारी

सरकार ने दिया मामले की जांच का आश्वासन

उत्तर प्रदेश सरकार के वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि आरोपी को मंगलवार को रिहा कर दिया गया था। देरी क्यों हुई, इसका पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है। मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।