पत्नी की जानकारी के बिना उसका फोन कॉल रिकॉर्ड करना है निजता का हनन- हाई कोर्ट
क्या है खबर?
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई में स्पष्ट तौर पर कहा है कि बिना अनुमति पत्नी की टेलीफोन पर बातचीत को रिकॉर्ड करना उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
इसी के साथ हाई कोर्ट ने तलाक के एक मामले में बठिंडा के परिवार न्यायालय की ओर से पति को पत्नी के खिलाफ सुबूत के तौर पर उसके फोन कॉल की रिकॉर्डिंग प्रस्तुत करने की दी गई अनुमति को भी खारिज कर दिया।
प्रकरण
पति ने साल 2017 में दाखिल की थी तलाक की याचिका
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एक व्यक्ति ने साल 2017 में बठिंडा के परिवार न्यायालय में पत्नी से तलाक के लिए याचिका दाखिल की थी। उसकी साल 2009 में शादी हुई और दंपति की एक बेटी भी है।
पति ने कोर्ट से पत्नी के खिलाफ क्रूरता का मामला दर्ज कराने के लिए उससे टेलीफोन पर हुई बातचीत को सुबूत के तौर पर प्रस्तुत करने की मांग की थी।
इस पर न्यायालय ने 29 जनवरी, 2020 को अनुमति दी थी।
जानकारी
पति ने कोर्ट ने CD के जरिए प्रस्तुत की थी रिकॉर्डिंग
परिवार न्यायालय की अनुमति के बाद पति ने पत्नी से फोन पर हुई बातचीत को फोन के मेमोरी कार्ड में रिकॉर्ड किया था और फिर से उसे CD डिस्क में ट्रांसफर कर न्यायालय में पेश किया था। कोर्ट ने उस बातचीत को आधार बनाया था।
चुनौती
पत्नी ने परिवार न्यायालय के आदेश को दी थी चुनौती
परिवार न्यायालय के आदेश को पत्नी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पत्नी के वकील ने तर्क दिया कि पति द्वारा मांगा गया सुबूत से दलीलों से परे है और वह अस्वीकार्य है।
परिवार न्यायालय ने फोन पर हुई बातचीत को गलत तरीके से सुबूत के तौर पर स्वीकार किया है।
वकील ने यह भी कहा था कि फोन कॉल को रिकॉर्ड करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पत्नी की निजता का खुला उल्लंघन है।
जानकारी
परिवार न्यायालय ने की धारा 65 की अनदेखी
महिला के वकील ने तर्क दिया कि परिवार न्यायालय ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 की पूरी तरह अनदेखी की है। इसका कारण है कि मोबाइल फोन की रिकॉर्डिंग को किसी भी मामले में अन्य किसी माध्यम से स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
सुनवाई
कोर्ट ने रिकॉर्डिंग को माना निजता के अधिकार का उल्लंघन
हाई कोर्ट की जस्टिस लीला गिल ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा, "पत्नी की जानकारी के बिना टेलीफोन पर बातचीत को रिकॉर्ड करना उसकी निजता का स्पष्ट उल्लंघन है।"
उन्होंने आगे कहा, "यह भी नहीं कहा या पता लगाया जा सकता कि किन परिस्थितियों में बातचीत हुई थी या किस तरह से बातचीत रिकॉर्ड करने वाले व्यक्ति ने उसका जवाब दिया, क्योंकि यह निश्चित तौर पर साफ है कि बातचीत दूसरे पक्ष से छिपाकर रिकॉर्ड की गई थी।"
खारिज
हाई कोर्ट ने परिवार न्यायालय के आदेश को किया खारिज
इसके साथ हाई कोर्ट ने बठिंडा परिवार न्यायालय की ओर से पत्नी के फोन कॉल को रिकॉर्ड करने और सुबुत के तौर पर प्रस्तुत करने के आदेश को भी खारिज कर दिया। ऐसे में अब पति को तलाक का मजबूत आधार देने के लिए अन्य साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे।
इसी तरह हाई कोर्ट ने परिवार न्यायालय को तलाक की याचिका पर अगले छह महीने में निर्णय लेने का आदेश दिया है। मामले की अलगी सुनवाई अब परिवार न्यायालय में होगी।