नोएडा: इलाज के लिए 13 घंटे भटकती रही गर्भवती महिला, फिर भी बचाने नहीं आए "भगवान"
क्या है खबर?
धरती पर डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है। कोई भी व्यक्ति घायल या गंभीर बीमार होने पर इसी उम्मीद से मंदिर रूपी अस्पताल में जाता है कि भगवान रूपी डॉक्टर उसकी जान बचा लेगा, लेकिन उत्तर प्रदेश के नोएडा में हुई एक घटना ने लोगों के भगवान रूपी डॉक्टर पर बने विश्वास को हिला दिया है।
शुक्रवार को एक गर्भवती महिला ने करीब 13 घंटे तक अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद एम्बुलेंस में दम तोड़ दिया।
घटना
प्रसव पीड़ा शुरू होने पर गए थे अस्पताल
गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एल वाई ने बताया कि मृतक महिला नोएडा-गाजियाबाद सीमा पर स्थित खोड़ा कॉलोनी नीलम (30) पत्नी विजेन्द्र सिंह है।
नीलम आठ माह से गर्भवती थी और उसका शिवालिक अस्पताल में इलाज चल रहा था। शुक्रवार को प्रसव पीड़ा होने पर विजेन्द्र उसे ऑटो से शिवालिक अस्पताल लेकर गया तो वहां उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया।
अन्य अस्पतालों के भी मना करने पर आखिरकार 13 घंटे बाद उसने एम्बुलेंस में दम तोड़ दिया।
संघर्ष
ऐसे थमती गई नीलम की सांसें
मृतका के पति विजेन्द्र ने बताया कि शिवालिक अस्पताल के बाद वह ऑटो से सेक्टर-24 स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अस्पताल पहुंचे। वहां डाक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया।
इसके बाद वह नोएडा जिला अस्पताल पहुंचे तो वहां से उसे एम्बुलेंस से शारदा अस्पताल और फिर ग्रेटर नोएडा के सरकारी आयुर्विज्ञान संस्थान गए, लेकिन सब जगह निराशा हाथ लगी।
इस दौरान उसकी पत्नी की तबीयत बिगड़ती गई।
जानकारी
निजी अस्पतालों ने भी खड़े किए हाथ
विजेन्द्र ने बताया कि वह गौतम बौद्ध नगर के फोर्टिस और जेपी अस्पताल और गाजियाबाद के वैशाली स्थित मैक्स अस्पताल भी पहुंचा, लेकिन वहां भी डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिया। अंत में जिम्स अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
अमानवीय
'भगवान' की बेरूखी ने ली दो जानें
कोरोना वायरस के डर से भगवान रूपी डॉक्टरों ने अमानवीय रूप पेश किया है। उन्होंने नीलम का उपचार नहीं करके न केवल उसकी जान ली है, बल्कि उसके गर्भ में पल रहे मासूम को भी दुनिया की झलक देखने से पहले ही मौत की नींद सुला दिया।
इस घटना ने नीलम के परिवार क्षेत्र के लोगों के दिलों पर गहरा आघात पहुंचाया है। इसके अलावा अस्पतालों में डॉक्टरों की महत्ता पर भी सवार खड़े किए हैं।
जांच
मामले की जांच के गठित की कमेटी
गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास ने बताया मामला बेहद गंभीर है। इसकी जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है।
जिसमें जिलाधिकारी वित्त और राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक ओहरी और एक महिला डॉक्टर को शामिल किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस मामले में जो भी दोषी हैं उनके ऊपर कार्रवाई की जाएगी। सभी अस्पतालों का संज्ञान लिया जाएगा और कोशिश की जाएगी कि भविष्य में ऐसी घटना न हो।
जानकारी
इलाज के अभाव में हुई थी नवजात की मौत
गौतम बुद्ध नगर में 25 मई को भी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने के कारण एक नवजात शिशु की मौत हो गई थी। रात को मासूम की तबीयत बिगड़ने पर परिजन उसे अस्पताल लेकर गए थे, लेकिन किसी भी अस्पताल ने उसे भर्ती नहीं किया।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में ऑटो रिक्शा में तोड़ दिया था गर्भवती महिला ने दम
इलाज के अभाव में गर्भवती महिला की मौत होने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले महाराष्ट्र के ठाणे में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी।
मुम्ब्रा इलाके में 26 वर्षीय आसमां मेहंदी अपने पति के साथ अस्पताल में भर्ती होने गई थी, लेकिन अस्पतालों ने कोरोना के डर से उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया था।
कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद वह केसरकर हॉस्पिटल पहुंचे, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।