JNU हिंसा मामले में पुलिस ने की संदिग्धों की पहचान, जल्द होगी पूछताछ
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) परिसर में नकाबपोश हमलावरों के प्रवेश और छात्रों सहित 34 लोगों पर हमले की घटना के पांच दिन बाद शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने नौ संदिग्ध लोगों के नाम व फोटो जारी कर दी हैं। सभी संदिग्धों को नोटिस भेजा गया है और जल्द ही उनसे पूछताछ की जाएगी। पुलिस की ओर से जारी किए गए नौ संदिग्धों के नाम में सात लेफ्ट संगठन से जुड़े हैं, जबकि दो नाम ABVP संगठन के छात्रों के हैं।
इस प्रकार हैं संदिग्धों के नाम
दिल्ली पुलिस के PRO एमएस रंधावा ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि JNU हिंसा में प्रारम्भिक रूप से जिन लोगों ने नाम सामने आए हैं, उनमें पूर्व छात्र चुनचुन कुमार, आईशी घोष, डोलन समान्ता, विकास विजय, प्रिया रंजन, सुचेता तालुकदार, पंकज मिश्रा, योगेंद्र भारद्वाज, विकास पटेल शामिल हैं। ये सभी छात्र लेफ्ट संगठन से हैं। इसी प्रकार योगेंद्र भारद्वाज और विकास पटेल ABVP संगठन से हैं। इन सभी लोगों के खिलाफ CCTV फुटेज से सबूत जुटाए गए हैं।
लेफ्ट छात्र संगठनों ने ही किया था पेरियार हॉस्टल पर हमला- पुलिस
पुलिस ने बताया कि साबरमती हॉस्टल में तोड़फोड़ वीडियो वाली फोटो जारी नहीं की गई है। अधिकतर छात्र पढ़ाई करना चाहते हैं, लेकिन लेफ्ट के चार ग्रुप उन्हें पंजीयन नहीं कराने दे रहे। उन्होंने ही स्टाफ से धक्का-मुक्की कर सर्वर को बंद किया था। पुलिस का आरोप है कि लेफ्ट छात्र संगठनों ने ही पेरियार हॉस्टल पर हमला किया था। पुलिस का मानना है कि साबरमती हॉस्टल का हमला सुनियोजित था और कमरों चिहि्नत कर हमला किया गया था।
छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष पर भी लगा हमले का आरोप
मामले के जांच अधिकारी अपराध शाखा के उपायुक्त जॉय तिर्की ने बताया कि काफी संख्या में छात्र शीतकालीन सेमेस्टर के लिए पंजीकरण चाहते थे, लेकिन लेफ्ट संगठन उन्हें ऐसा करने से रोक रहा था। पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि आइशी घोष सहित कुछ लोगों ने हॉस्टल में छात्रों पर हमला किया था। उसी दौरान उनके सिर पर चोट लगी थी। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
पुलिस लगा रही झूठे आरोप- आइशी घोष
दिल्ली पुलिस की ओर से आरोप लगाए जाने के बाद छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने पुलिस के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा, "पुलिस के आरोपों से हम डरने वाले नहीं हैं, हम अपनी जगह से नहीं हिलेंगे। पुलिस द्वारा झूठी कहानी रची जा रही है। पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है। क्या पुलिस ने मुझे किसी पर हमला करते हुए देखा है? दिल्ली पुलिस के पास जो भी साक्ष्य हैं उन्हें सार्वजनिक करना चाहिए।"
त्वरित कार्रवाई नहीं होने को लेकर हुई थी पुलिस की आलोचना
JNU परिसर में हुई हिंसा के बाद त्वरित कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर दिल्ली पुलिस की कड़ी आलोचना हो रही थी। तोड़फोड़ के मामले में छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष सहित अन्य संगठन के छात्र नेताओं को नामजद किए जाने को लेकर भी पुलिस को आलोचना का सामना करना पड़ा था। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने पुलिस पर सरकार की 'कठपुतली' होने का भी आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि पूर्वाग्रह वाली पुलिस की जांच में प्रामाणिकता नहीं है।
दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे तीन प्रोफ़ेसर
JNU परिसर में हुए हमले के मामले में डेटा, CCTV फुटेज और व्हाट्एसेप साक्ष्यों की सुरक्षा के लिए तीन प्रोफेसरों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शुक्रवार को दायर की गई याचिक में उन्होंने व्हाट्सऐप इंक, गूगल इंक और ऐप्पल इंक को जेएनयू हमला मामले में व्हाट्सऐप ग्रुप्स 'यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट' और 'फ्रेंड्स ऑफ आरएसएस' से जुड़े सभी डेटा को सुरक्षित रखने की मांग की है। डेटा में मैसेज, फोटो, वीडियो और फोन नंबर शामिल हैं।
JNU हिंसा में घायल हुए थे दो दर्जन से अधिक छात्र
गौरतलब है कि गत रविवार रात को JNU परिसर में घुसे नकाबपोश बदमाशों ने छात्रों पर हमला किया था। इसमें छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष सहित अन्य छात्रों को चोट आई थी। बाद में सभी को उपचार के लिए एम्स की ट्रोमा इकाई में भर्ती कराया गया था। मामले को लेकर देशभर के विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इस हालत में पुलिस ने संदिग्धों के नाम जारी कर कार्रवाई के नाम ठंडे छींटे दिए हैं।