दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार मोदी ने की 'मन की बात', जानें क्या-क्या कहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' की फिर से शुरुआत की। दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद यह 'मन की बात' का उनका पहला कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम में उन्होंने देश में जारी जल संकट, आपातकाल और लोकतंत्र समेत कई मुद्दों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि इतने लंबे अंतराल के बीच उन्होंने 'मन की बात' को बहुत मिस किया और केदारनाथ गुफा में उन्हें इससे उपजे खालीपन को भरने को मौका मिला।
लोकसभा चुनाव से पहले प्रसारित हुआ था कार्यक्रम का आखिरी एपिसोड
'मन की बात', प्रधानमंत्री मोदी के पिछले कार्यकाल का एक महत्वपूर्ण आकर्षण था। कार्यक्रम का आखिरी एपिसोड लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी 2019 में प्रसारित हुआ था। उस दौरान, प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया था कि भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापस आएगी।
जल संरक्षण पर रहा सबसे ज्यादा जोर
अपनी 'मन की बात' में प्रधानमंत्री मोदी का सबसे ज्यादा जोर जल संरक्षण पर रहा। उन्होंने कहा कि जल के महत्व को देखते हुए ही नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है, जिसकी मदद से जल से संबंधित सभी विषयों पर तेजी से फैसले लिए जा सकेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, "देश के कई हिस्सों में हर साल जल संकट पैदा होता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि देश में केवल 8 प्रतिशत वर्षा जल संरक्षित किया जाता है।"
जल संरक्षण के लिए जल आंदोलन की जरूरत
प्रधानमंत्री मोदी ने अनुरोध करते हुए कहा, "जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया। आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें।" जल की हर एक बूंद के संरक्षण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, "जल संरक्षण का कोई निश्चित तरीका नहीं है। अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं, लेकिन सबका लक्ष्य एक ही है- पानी की हर एक बूंद का संरक्षण।"
जल संरक्षण के लिए दिए तीन सुझाव
प्रसिद्ध व्यक्तियों समेत सभी देशवासियों से तीन बिंदु की अपील करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जल संरक्षण पर जागरूकता लाने, जल संरक्षण के पारंपरिक तरीकों को साझा करने और जल पर काम कर रहे किसी भी व्यक्ति और NGO की जानकारी साझा करने को कहा। उन्होंने कहा कि हमारे देश में जल संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं और उनकी जानकारी साझा करें।
आपातकाल के दौर का भी किया जिक्र
इससे पहले आपातकाल पर बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "जब देश में आपातकाल लगाया गया, तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं था। दिन-रात जब समय पर खाना खाते हैं तब भूख क्या होती है, इसका पता नहीं होता है। वैसे ही सामान्य जीवन में लोकतंत्र के अधिकार का मजा क्या है वो तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन ले।" उन्होंने कहा कि चुनाव के बीच 'मन की बात' का मजा गायब था।
मोदी ने कहा, बुके नहीं बुक दें
प्रधानमंत्री ने 'बुके की जगह बुक' देने पर कहा, "आपने कई बार मेरे मुंह से सुना होगा, 'बुके नहीं बुक'। मेरा आग्रह था कि क्या हम स्वागत-सत्कार में फूलों के बजाय किताबें दे सकते हैं।" प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्हें हाल ही में किसी ने 'प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानियां' नामक पुस्तक दी, जिसकी कहानी 'ईदगाह' में 4-5 साल का हामिद जब मेले से चिमटा लेकर अपनी दादी के पास पहुंचता है तो मानवीय संवेदना अपने चरम पर पहुंच जाती है।