कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में 13 लाख प्रवासी मजदूरों ने छोड़ी दिल्ली- रिपोर्ट
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी ने घरों से दूर रहकर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।
महामारी के कारण लाखों मजदूरों की नौकरी चली गई तो लाखों को लॉकडाउन के कारण घर लौटना पड़ा।
यही कारण है कि महामारी की दूसरी लहर में 13 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर और उनके परिजन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से अपने घरों को लौट गए।
केंद्रीय श्रम मंत्रालय द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट
बसों के जरिए रवाना हुए आठ लाख से अधिक प्रवासी मजदूर
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार श्रम और रोजगार मंत्रालय की ओर से गृह मामलों की संसदीय समिति को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा है कि रेल मंत्रालय से प्राप्त डाटा के अनुसार दूसरी लहर के दौरान 5,17,073 प्रवासी मजदूरों ने घर लौटने के लिए ट्रेनों का उपयोग किया था।
इसी तरह दिल्ली सरकार के डाटा के अनुसार आठ लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों ने बसों के जरिए यात्रा की थी। इस तरह से कुल 13 लाख प्रवासियों ने दिल्ली छोड़ी थी।
कारण
लॉकडाउन के कारण प्रवासियों ने छोड़ी दिल्ली
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल लॉकडाउन में परिवहन साधनों का संचालन नहीं होने के कारण प्रवासियों को पैदल ही अपने घरों को लौटना पड़ा था, लेकिन इस बार परिवहन के साधान सुचारू थे।
ऐसे में लॉकडाउन के बाद कम बंद होते ही प्रवासियों ने ट्रेनों और बसों के द्वारा राजधानी दिल्ली को छोड़ दिया।
दिल्ली सरकार के अनुसार 19 अप्रैल से 14 मई बीच आठ लाख से अधिक प्रवासियों ने बसों के जरिए यात्रा की है।
प्रभावित
महामारी की दूसरी लहर से खासी प्रभावित रही थी दिल्ली
रिपोर्ट के अनुसार महामारी की दूसरी लहर ने दिल्ली को खासा प्रभावित किया था। अस्पतालों में बेड्स, दवाइयों और ऑक्सीजन की कमी आ गई थी। इससे सैकड़ों लोगों की मौत हो गई।
दूसरी लहर में दिल्ली में 7.60 लाख से अधिक कोरोना की चपेट में आए और 13,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
इसको लेकर दिल्ली सरकार ने 19 अप्रैल से लॉकडाउन की घोषणा की थी। जिसके बाद से संक्रमण के मामलों में कमी आई थी।
राहत
पहली लहर की तुलना में कम रहा प्रवासी मजदूरों का पलायन
रिपोर्ट के अनुसार देश में महामारी की पहली लहर की तुलना में दूसरी में प्रवासी मजदूरों का पलायन कम रहा है। कई राज्यों ने प्रवासियों के रहने और खाने की व्यवस्था की थी और उनसे शहर नहीं छोड़ने की अपील की थी।
शुरुआत में बड़ी संख्या में पलायन की उम्मीद लगाई गई थी, लेकिन बाद में ऐस नहीं देखा गया। उद्योग और निर्माण कार्यों पर रोक नहीं होने के कारण भी कम संख्या में प्रवासी घरों को लौटे थे।
अन्य
महाराष्ट्र से घरों को लौटे छह लाख से अधिक प्रवासी मजदूर
रिपोर्ट के अनुसार मध्य और पश्चिम रेलवे के डाटा पर नजर डाले तो अप्रैल में महाराष्ट्र से छह लाख से अधिक प्रवासी अपने घरों को लौटे थे। इनमें से तीन लाख प्रवासी मजदूरों ने मुंबई से ट्रेन पकड़ी थी। इस दौरान कुल 370 विशेष ट्रेनों का संचालन किया गया था।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि महाराष्ट्र में 13 अप्रैल से लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी। उसे बाद से ही प्रवासियों ने सीटें बुक कराना शुरू कर दिया था।
जानकारी
इन राज्यों के श्रमिकों ने किया सबसे अधिक पलायन
दूसरी लहर में महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों ने सबसे अधिक पलायन किया था। इसका कारण यह रहा कि मुंबई और पुणे से इन्हीं राज्यों के लिए सबसे अधिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया गया था।
मदद
सरकारों ने इस तरह से की प्रवासी मजदूरों की मदद
रिपोर्ट के अनुसार महामारी की पहली लहर में 1.83 करोड़ प्रवासी मजदूरों को 5,618 करोड़ रुपये की राहत सामग्री वितरित की गई थी, जबकि दूसरी लहर में 50 लाख श्रमिकों को 1,034 करोड़ की सामग्री वितरित की गई है।
इसी तरह मजदूरों की मदद के लिए देशभर में 20 कंट्रोल रूम बनाए गए थे। इन पर 21 अप्रैल से 23 जून के बीच कुल 1,311 शिकायतें दर्ज की थी। इसमें से 861 राज्यों और 450 केंद्र से संबंधित थी।