राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने अपने चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम में किया बदलाव, वर्जिनिटी टेस्ट को अमानवीय-अवैज्ञानिक बताया
क्या है खबर?
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने अपनी योग्यता-आधारित चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम के लिए कई संशोधित दिशा-निर्देश जारी कर बड़े बदलाव किए हैं।
पाठ्यक्रम में गुदामैथुन और समलैंगिकता को "अप्राकृतिक यौन अपराध" की श्रेणी से हटा दिया गया।
साथ ही हाइमन और इसके प्रकार, इसके चिकित्सकीय-कानूनी महत्व और वर्जिनिटी और वर्जिनिटी खोने को परिभाषित करने जैसे विषयों को भी हटा दिया गया है।
इसके अलावा भी संशोधित पाठ्यक्रम में कई जरूरी बदलाव किए गए हैं।
बदलाव
पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर क्या कहा गया है
NDTV के मुताबिक, संशोधित पाठ्यक्रम में कहा गया है कि वर्जिनिटी के "लक्षणों" (तथाकथित 'वर्जिनिटी टेस्ट', जिसमें महिला जननांग पर उंगली परीक्षण भी शामिल है) का वर्णन और चर्चा करना अवैज्ञानिक, अमानवीय और भेदभावपूर्ण है।
दिशा-निर्देश में छात्रों को यह चर्चा करने के लिए पढ़ाने की बात की गई है कि यदि इस प्रकार के टेस्ट का आदेश दिया जाता है तो इन टेस्ट के अवैज्ञानिक आधार के बारे में कोर्ट को कैसे अवगत कराया जाए।
संशोधन
पाठ्यक्रम से और क्या हटाया गया?
पाठ्यक्रम से चर्चा के लिए विषय जैसे यौन विकृतियां, फेटिशिज्म, ट्रांसवेस्टिज्म, वॉयेरिज्म, सैडिज्म, नेक्रोफेजिया, मासोकिज्म, एक्जीबिशनिज्म, फ्रोट्यूरिज्म और नेक्रोफीलिया को भी हटा दिया गया है।
साथ ही फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी के अंतर्गत संशोधित पाठ्यक्रम में अब इन सभी विषयों को भी हटाया गया है।
पाठ्यक्रम में फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी श्रेणी के अंतर्गत छात्रों को अब कानूनी दक्षता के बारे में पढ़ाया जाएगा।
साथ ही पाठ्यक्रम में पैराफिलिया और पैराफिलिक विकार के बीच अंतर सिखाने का उल्लेख है।
जानकारी
पहले समलैंगिकता को अप्राकृतिक यौन अपराध बताया था
NMC ने पहलने स्नातक मेडिकल छात्रों के लिए फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी श्रेणी में सोडोमी और समलैंगिकता को "अप्राकृतिक यौन अपराध" के रूप में शामिल किया था, जिसे 2022 में हटाया गया था। विरोध के बाद इसे वापस ले लिया गया और संशोधित जारी किया।