भारत में घर पर मास्क बनाने की मुहिम चलाने के पीछे इस महिला वैज्ञानिक का हाथ
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में मास्क कितना सहायक है, इस पर भले ही दुनियाभर में बहस जारी हो, लेकिन कई देशों ने घर से बाहर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है।
भारत में भी मास्क को बढ़ावा दिया जा रहा है और इनकी कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने घर पर मास्क बनाने की सलाह दी है।
सरकार की इस रणनीति के पीछे डॉ. शैलजा वैद्य गुप्ता हैं। आइए उनके बारे में जानते हैं।
योगदान
डॉ शैलजा ने तैयार किया घर पर मास्क बनाने का मैनुअल
डॉ. शैलजा वैद्य गुप्ता सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। वह नीति तैयार करने में सरकार की मदद करती हैं और तकनीक के बेहतर उपयोग पर सलाह देती हैं।
भारत में कोरोना वायरस फैलना शुरू होने के बाद शैलजा ने घर पर मास्क कैसे बनाए इसका मैनुअल तैयार किया और इसका 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद कराया।
इसके बाद उन्होंने इन मास्क को कोरोना के खिलाफ लड़ाई का एक अभिन्न अंग बनाने की मुहिम चलाई।
इंटरव्यू
शैलजा ने कहा- ट्रांसमिशन चैन रोकने के लिए घर पर बने मास्क बेहद जरूरी
BBC के साथ बातचीत में शैलजा ने कहा कि ट्रांसमिशन चैन को सीमित करने के लिए घर पर बने मास्क बेहद जरूरी हैं।
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि झुग्गियों में रहने वाले लोगों को एक स्थानीय, सस्ते और आसान समाधान की जरूरत है और यहीं पर घर पर बना मास्क एक बड़ा अंतर पैदा कर सकता है।
अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में फेस मास्क की अहमियत को लेकर प्रकाशित पेपर्स का हवाला दिया।
कैसे बनाएं?
शैलजा ने बताया, कैसे बना सकते हैं घर पर मास्क
शैलजा ने बताया कि किसी भी सूती कपड़े से घर पर मास्क बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मास्क बनाने के लिए नौ इंच गुणा सात इंच का कपड़ा काटा जाता है और चार पतली पट्टियां इससे जोड़ी जाती हैं ताकि इसे चेहरे के सभी तरफ बांधा जा सके।
उन्होंने कहा कि मास्क से पूरा चेहना ढकना चाहिए और इसे नियमित तौर पर साबुन और पानी से साफ करने की जरूरत होती है।
खासियतें
इसलिए व्यावसायिक मास्क से बेहतर हैं घर पर बने मास्क
व्यावसायिक मास्क के मुकाबले घर पर बने मास्क की अहमियत बताते हुए शैलजा ने कहा कि घर पर बने मास्क को धोकर दोबारा भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जबकि व्यावसायिक मास्क के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, "घर पर एक मास्क बनाने में कुछ ही रुपये का खर्च आता है। वहीं गैर-बुने प्लास्टिक से बने सर्जिकल मास्क 10 रुपये और डॉक्टरों और नर्सों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले N-95 मास्क लगभग 500 रुपये में आते हैं।"
मास्क की जरूरत
भारत को जल्द ही पड़ेगी एक अरब मास्क की जरूरत- शैलजा
शैलजा की ये मुहिम रंग लाई है और केंद्र सरकार के अनुसार देश के 27 जिलों में 78,000 स्व-सहायता समूह अब तक दो करोड़ से अधिक मास्क बना चुके हैं। शैलजा का कहना है कि भारत को जल्द ही एक अरब मास्क की जरूरत पड़ने वाली है।
केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने भी शैलजा की जमकर तारीफ की है और घर पर मास्क बनाने की मुहिम का मुख्य श्रेय उन्हें दिया है।
करियर
कैसा रहा है शैलजा का अब तक का करियर?
शैलजा ने IIT-दिल्ली से बायो-केमिस्ट्री में PhD की है और वे 17 सितंबर, 2019 को मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के दफ्तर के साथ जुड़ी थीं। इसके अलावा वे बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे गैर-सरकारी संगठनों के साथ सहयोग की जिम्मेदारी भी संभालती हैं।
इससे पहले वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बायो-केमिस्ट्री विभाग के साथ काम कर चुकी हैं।
वे झुग्गी बस्ती धारावी में भी काम कर चुकी हैं जहां उन्होंने बच्चों को रोगाणुओं के बारे में जानकारी दी थी।