उत्तर प्रदेश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौहत्या निरोधक कानून के दुरुपयोग पर जताई चिंता
क्या है खबर?
देश में गौहत्या के नाम पर कई लोगों और वाहनों चालकों की हत्या और गंभीर मारपीट के कई मामले सामने आ चुके हैं। अब इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिंता जताते हुए सख्त टिप्पणी की है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में गौहत्या निरोधक कानून का जमकर दुरुपयोग हो रहा है और इस कानून के तहत कई बेगुनाहो को जेल भेजा जा चुका है। हाईकोर्ट ने सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाया है।
प्रकरण
जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने की टिप्पणी
दरअसल, हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी शामली जिला निवासी रहमू उर्फ रहमुद्दीन की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।
शामली थाना पुलिस ने 5 अगस्त को उसे गौहत्या निवारण अधिनियम, 1955 के तहत गिरफ्तार किया था।
चौंकाने वाली बात यही थी कि पुलिस ने उसे अपराध स्थल से भी गिरफ्तार नहीं किया था और उसके खिलाफ पहले का कोई आपराधिक मामला भी दर्ज नहीं था। अदालत ने उसे सशर्त जमानत देते हुए सख्त टिप्पणी की है।
टिप्पणी
बिना फोरेंसिक जांच किए ही बता दिया जाता है बीफ
जस्टिस सिद्धार्थ की सिंगल बेंच ने कहा कि इस कानून में अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान होने के बावजूद लोग लंबे समय तक जेल में रहते हैं।
पुलिस किसी भी तरह के मांस की बरामदगी के बाद फॉरेंसिक प्रयोगशाला में जांच कराए बिना ही उसे बीफ या गाय का मांस बता देती है।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस कानून के तहत लोग ऐसे अपराध में जेल भेजे जा रहे हैं, जिन्हें वह करते ही नहीं हैं।
गौशाला
सिर्फ दुधारू गायों को ही रखती है गौशालाएं- हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख दिखाते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश में गायों की देखरेख और गौशालाओं में बेहतर सुविधा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।
गौशालाएं सिर्फ दुधारू गायों को ही रखने में रूचि दिखाती है। लोग बूढ़ी और बीमारू के साथ दूध नहीं देने वाली गायों को सड़कों पर छोड़ देते हैं और गौशालाएं भी इन्हे नहीं रखती हैं।
ऐसे में गायें सीवर का पानी पीने, कचरा ऑर पॉलीथिन खाने के लिए मजबूर है। उनकी सुरक्षा खतरे में हैं।
यातायात
यातायात के लिए बड़ा खतरा है आवारा गायें- हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि आवारा गायें राज्य में यातायात के लिए बड़ा खतरा है। गाय और सांडों के कारण आए दिन सड़कों पर हादसें हो रहे हैं और लोगों की जानें जा रही है।
स्थानीय लोगों और पुलिस के डर की वजह से दूसरे लोग भी इन्हे न तो अपने साथ रखते हैं और न ही राज्य से बाहर भेजने की हिम्मत जुटा पाते हैं।
इसी तरह गौशालाओं के बाहर घूमने वाली गायें लोगों की फसलों को बर्बाद करती हैं।
सलाह
गायों को मालिकों या गौशालाओं में रखने के बनाए जाने चाहिए नियम- हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि गायों का परित्याग समाज पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। गायों को उनके मालिकों के साथ रहने या फिर गौशालाओं में रखे जाने के नियम बनाए जाने चाहिए। इससे जहां गायों का हित होगा, वहीं आवारा गायों से होने वाले नुकसानों को भी रोका जा सकेगा।
इसी तरह सरकार को भी अपनी नीतियों पर विचार करना चाहिए। हाईकोर्ट ने इसी निष्कर्ष के आधार पर आरोपी रहमुद्दीन को सशर्त जमानत देने का आदेश दिया।