दिल्ली हिंसा मामले में गिरफ्तार जामिया की छात्रा सफूरा जरगर को मानवीय आधार पर मिली जमानत
क्या है खबर?
दिल्ली हिंसा से जुड़े एक मामले में गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार की गई जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी की सदस्य सफूरा जरगर को मंगललवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मानवीय आधार पर जमानत दे दी।
सफूरा 23 सप्ताह की गर्भवती हैं और पिछले काफी समय से सोशल मीडिया पर उसकी जमानत की मांग चल रही थी।
मंगलवार को उसकी जमानत याचिका पर पुलिस ने भी मानवीय आधार पर विरोध नहीं किया।
प्रकरण
सफूरा को इस मामले में किया था गिरफ्तार
बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को लेकर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (UAPA) के तहत सफूरा जरगर को गत 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था।
मामले में उसे 25 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में दाखिल की अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि सफूरा के खिलाफ अभी भी जांच चल रही है।
आदेश
अदालत ने इन शर्तों के आधार पर सफूरा को दी जमानत
जस्टिस राजीव शकधर ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई में 23 हफ्ते से गर्भवती सफूरा को 10,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पेश करने पर रिहा करने का आदेश दिया।
अदालत ने उसे मामले की जांच को प्रभावित करने वाली गतिविधि में शामिल नहीं होने, बिना अनुमति दिल्ली नहीं छोड़ने और 15 दिन में एक बाद मामले के किसी एक जांच अधिकारी से फोन पर संपर्क करने का आदेश भी दिया है।
समर्थन
दिल्ली पुलिस ने नहीं किया जमानत याचिका का विरोध
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से प्रस्तुत हुए महाधिवक्ता तुषार मेहता ने सफूरा के गर्भवती होने को लेकर मानवीय आधार पर उसकी जमानत याचिका का विरोध नहीं किया।
उन्होंने कहा कि सफूरा को मानवीय आधार पर नियमित जमानत दी जा सकती है और फैसला मामले के तथ्यों के आधार पर नहीं लिया जाना चाहिए और न ही इसे नजीर बनानी चाहिए। इसके बाद अदालत ने उन्हें सशर्त जमानत देने का आदेश दे दिया।
जानकारी
सफूरा के पति ने जताई खुशी
दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से जमानत दिए जाने के बाद सफूरा के पति सबूर सिरवाल ने कहा कि वह अदालत के शुक्रगुजार हैं। वह अपने वकीलों के प्रयास के लिए धन्यवाद देते हैं। उनका परिवार सफूरा से मिलने को लेकर उत्सुक है।
विरोध
दिल्ली की स्पेशल टीम की थी जमानत नहीं देने की मांग
दिल्ली की स्पेशल टीम ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में बताया कि गवाह और सह आरोपी ने स्पष्ट रूप से जरगर को बड़े पैमाने पर बाधा डालने और दंगे के गंभीर अपराध में सबसे बड़े षड्यंत्रकारी के तौर पर बताया है।
वह दिल्ली के साथ देश के अन्य हिस्सों में भी दंगे की षड्यंत्रकारी है। ऐसे में उसे जमानत नहीं मिलनी चाहिए। पुलिस ने यह भी कहा था कि उसे कोरोना से बचाने के लिए अलग बैरक में रखा जाएगा।
जानकारी
पुलिस ने जेल में प्रसव होने का भी दिया था उदाहरण
स्पेशल टीम ने जमानत याचिका खारिज कराने के लिए उदाहरण दिया था कि सफूरा का गर्भवती होना जमानत का अहम आधार नहीं हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली की जेलों में पिछले 10 सालों में 39 प्रसव हो चुके हैं।
दिल्ली हिंसा
फरवरी में हुई हिंसा में हुई थीं 53 लोगों की मौत
देश की राजधानी दिल्ली में 23 फरवरी से 25 फरवरी तक लगातार तीन दिन दंगे हुए थे। इन दंगों में इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) के अधिकारी अंकित शर्मा और दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल सहित 53 लोगों की मौत हुई थी और 400 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
पहले CAA पर टकराव और फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषणों की वजह से दिल्ली में सांप्रदायिक तनाव चरम को इन दंगों का कारण माना गया था।